तकनीकी संस्थानों में भारतीय वैज्ञानिक विरासत अध्ययन के पुनरुद्धार अन्वेषण हेतु भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आईआईटी खड़गपुर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वेबगोष्ठी

675
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement

खड़गपुर, आईआईटी खड़गपुर भारतीय ज्ञान प्रणालियों पर एक अंतर्राष्ट्रीय वेबगोष्ठी  शुक्रवार से तीन दिवसीय    का आयोजन कर रहा है। शुक्रवार से शुरू होने वाले तीन दिवसीय  वेबगोष्ठी 8 नवंबर तक चलेगा।  आयोजक सचिव प्रो. जॉय सेन, वास्तुकला एवं क्षेत्रीय नियोजन विभाग, आईआईटी खड़गपुर ने बताया कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कविता भारत तीर्थ शीर्षक से स्पष्ट है कि वेबगोष्ठी का उद्देश्य भारत की भारत की दार्शनिक और वैज्ञानिक विरासत की खोज करना और मानव जीवन के भौतिक, आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक क्षेत्र के साथ सहसंबंध में समकालीन मानव दुनिया के भविष्य के लिए भारतीय ज्ञान और इसके अनुप्रयोग की दिशा में प्रगति करना है।

उन्होंने कहा कि वेबगोष्ठी भारत की वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के संदर्भ में हमारी वैज्ञानिक विरासत को उन्नत विज्ञान और प्रौद्योगिकी की खोज के दायरे में सर्वश्रेष्ठ स्थिति में ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगी। यह वेबगोष्ठी अर्थशास्त्र, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण के लिए संस्कृत, वैदिक और प्राचीन भारतीय गणित – अंक प्रणाली, बीजगणित और ज्यामिति, रसायन (रासायनिक विज्ञान), आयुर्वेद (जैविक विज्ञान), ज्योतिर-तथा-महाजगतिका विद्या (स्थिति और खगोलीय विज्ञान), प्राकृत विद्या (स्थलीय / भौतिक विज्ञान / पारिस्थितिकी और वायुमंडलीय विज्ञान) और नंदना तथ्य तथा वास्तु विद्या (पुरातत्व विज्ञान, चिह्न विज्ञान और वास्तुकला) सहित भारतीय ज्ञान शाखाओं के अध्ययन में अग्रणी अंतरराष्ट्रीय प्रख्यात विशेषज्ञों के परस्पर विचार-विमर्श की साक्षी बनेगी।

श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, माननीय शिक्षा मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। उनके साथ श्री संजय धोत्रे, माननीय राज्य मंत्री, शिक्षा मंत्रालय और श्री अमित खरे, सचिव उच्च शिक्षा, भारत सरकार माननीय अतिथि के रुप में शामिल होंगे। भारतीय ज्ञान प्रणाली के भविष्य की दिशा में आईआईटी संस्थानों की भूमिका के विषय में आगे बढ़ने के मार्ग के बारे में बताते हुए आईआईटी खड़गपुर के निदेशक प्रो. वीरेंद्र के तिवारी ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणालियों के एक स्वतंत्र केंद्र का सृजन एवं प्रोत्साहन किया जाए, जिससे हमारे विद्यार्थियों और संकाय की भारतीय ज्ञान विरासत में रुचि बढ़े, तथा अनुसंधान के व्यापक एवं सकारात्मक माहौल को पुनः सृजित किया जा सके तथा जिससे समग्रतः मानवता लाभान्वित हो।

वर्तमान वेबगोष्ठी ऐसी प्रक्रियाओं का श्रीगणेश करेगी जिससे व्यापक ज्ञान का एक आधार सृजित होगा और भारतीय विद्या की अंतरराष्ट्रीय नीति को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह हमारे राष्ट्र की विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति में हासिल किए गए कई प्राथमिकताओं के अनुरुप है, जिसके कारण हम प्रख्यात संस्थान बने हैं।

वक्ताओं में भारत सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार श्री संजीव सान्याल, और डॉ.दीपा शंकर, शिक्षा प्रमुख, यूनिसेफ, उज्बेकिस्तान (यूरोप और मध्य एशिया क्षेत्र), अर्थशास्त्री, प्रो. जेरार्ड ह्यूट, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन कंप्यूटर साइंस एंड ऑटोमेशन, फ्रांस और प्रो. अम्बा कुलकर्णी, संस्कृत अध्ययन विभाग, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण के लिए संस्कृत, हैदराबाद विश्वविद्यालय, प्रो क्लेमेंसी मॉन्टेल, कैंटरबरी विश्वविद्यालय, न्यूजीलैंड और प्रो के रामासुब्रमण्यम, आईआईटी बॉम्बे ,वैदिक और प्राचीन भारतीय गणित पर, प्रो. बी एम देब, विश्वभारती, शांतिनिकेतन और प्रो. समरेश भट्टाचार्य, जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता, भारतीय रसायन पर, डॉ. पी. राममनोहर,अमृता विश्व विद्यापीठम, कोयम्बटूर और डॉ. मिताली मुखर्जी, जीनोमिकी और समवेत जीवविज्ञान संस्थान, नई दिल्ली आयुर्वेद, पर, प्रो. मयंक एन. वाहिया, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई और प्रो. अमिताभ घोष, पूर्व निदेशक, आईआईटी खड़गपुर, स्थितीय और खगोलीय विज्ञान पर, प्रो.अरुणेंदु बनर्जी, विश्वभारती, शांतिनिकेतन और रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय और प्रो. ओंकारनाथ मोहंती, स्थलीय / भौतिक पारिस्थितिकी और वायुमंडलीय विज्ञान पर, आईआईटी भुवनेश्वर, डॉ. शिखा जैन, निदेशक, द्रोण फाउंडेशन, गुड़गांव और डॉ. राजरानी कालरा, शहरी और क्षेत्रीय भूगोल विशेषज्ञ, कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी, सैन बर्नार्डिनो, यूएसए, पुरातत्व, चिह्नविज्ञान और वास्तुकला विषयों पर व्याख्यान दे रहे विद्वान शामिल हैं। अन्य विशेषज्ञों में प्रो. एम डी श्रीनिवास, अध्यक्ष, नीति अध्ययन केंद्र, चेन्नई, बीज वक्तव्य वक्ता के रूप में, प्रो.अनिल डी.सहस्रबुद्धे, अध्यक्ष, एआईसीटीई और प्रो. शिशिर के दुबे, पूर्व निदेशक, आईआईटी खड़गपुर, भारतीय ज्ञान प्रणाली में आईआईटी संस्थानों के लिए आगे का रास्ता पर सत्र के पैनल विशेषज्ञ सदस्य के रूप में शामिल हैं। उनके साथ आईआईटी खड़गपुर में विभिन्न विषयों के संकाय विशेषज्ञ शामिल होंगे।

आयोजक सदस्यों में शामिल हैं- मुख्य सरंक्षक : प्रो. वीरेन्द्र कुमार तिवारी, निदेशक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर, सरंक्षक : प्रो. एस.के.भट्टाचार्या, उपनिदेशक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर, अध्यक्ष : प्रो. सोमेश कुमार, संकायाध्यक्ष, विद्यार्थी मामले, आईआईटी खड़गपुर, व आयोजक संयुक्त सचिव : प्रो.अनुराधा चौधुरी, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग, आईआईटी खड़गपुर

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement

For Sending News, Photos & Any Queries Contact Us by Mobile or Whatsapp - 9434243363 //  Email us - raghusahu0gmail.com