नहाय खाय के साथ शुरू छठ पूजा, आज खरना महाभारत काल में सूर्यपुत्र कर्ण द्वारा हुई छठ – व्रत की शुरुआत . . .

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जे. आर गंभीर

मान्यता अनुसार महाभारत काल में , सूर्यपुत्र वीर कर्ण द्वारा सूर्य भगवान की पूजा कर छठ पूजा की शुरुआत की गई थी . वे दैनिक घंटो नदी में खडे़ होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते थे . सूर्य देव की कृपा से ही वे महान योद्धा बने .छठ पूजा में अर्घ्य दान की यही परंपरा आज भी प्रचलित है . पौराणिक कथा अनुसार द्रौपदी और पांडव भी अपने हारे हुए राज्य पुनः प्राप्त करने व अपनी समस्याओं से मुक्ति पाने की कामना से छठ व्रत किए थे और अंततः उन्हें सफलता भी प्राप्त हुई थी . लोक मान्यता अनुसार सूर्य देव एवं छठी मईया का संबंध भाई – बहन का है . लोक मातृका छठी की पहली पूजा सूर्य देव ने ही की थी .
सूर्योपासना का यह व्रत मात्र भारत ही नही , बल्कि पूरी दुनियां में मनाया जाने लगा है.भारत में विशेष तौर पर यह व्रत बिहार , झारखण्ड एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाए जाने की अद्वितीय परंपरा है . कार्तिक शुक्लपक्ष के षष्ठी के दिन मनाए जाने वाले इस पर्व को कार्तिकी छठ भी कहते हैं . पारिवारिक प्रगति , सुख -समृद्धि एवं मनोवांक्षित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाई जाती है . दीपावली के एक दिन बाद पूरी स्वच्छता के साथ सात्विक भोजन ( लहसन – प्याज रहित ) ग्रहण करने के साथ ही , छठ पर्व की तैयारी आरंभ की जाती है . पर्व में व्रती छठी मां की कृपा पाने , एवं बच्चों की मंगल कामना के लिये 36 घंटे का कठोर निर्जला उपवास रखतीं है . व्रत के प्रथम दिन गंगा नदी के पवित्र जल में स्नान कर भोजन स्वरुप भात और कद्दू की सब्जी ग्रहण की जाती है जिसे नहाय खाय कहते है . छठ व्रती दिन में एक बार भोजन ग्रहण कर पूजा का प्रसाद तैयार करतीं है . दूसरे ओर तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है . व्रति महिलाएं इन दिनों कठिन निर्जला व्रत रखतीं हैं एवं तीसरे दिन संध्या समय अस्ताचल सूर्य देव की उपासना एवं अर्घ्य दान नदी के तट पर करती हैं और चौथे दिन भोर बेला में , महिलाएं नदी के जल में खडी होकर उगते सूर्य देव की अराधना एवं ऊषा अर्घ्य दान करती हैं , तत्पश्चात्‌ ही अपना 36 घंटे का उपवास तोड़ती है .

इस वर्ष छठ पूजा 30 और 31अक्टूबर को है जिसमें सायंकालीन अर्घ्य 30 को एवं सुबह का ऊषा अर्घ्य 31 को है 28 को नहाय खाय एवं 29 खरना की तिथि है .
द्रिक पंचाग अनुसार छठ पूजा के दिन सूर्योदय सुबह 06.43 और सूर्यास्त 06.03 बजे होगा .षष्ठी तिथि 30 अक्टूबर को सुबह05.49
शुरु होगी और 31 अक्टुबर को सुबह 03.27 बजे समाप्त होगी .

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