हरिशंकर परसाई: सृजन और संघर्ष’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय का आयोजन, विद्यासागर विश्वविद्यालय ने मनाया परसाई जन्मशती

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30 नवंबर मिदनापुर। विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की जन्मशती के अवसर पर हरिशंकर परसाई:सृजन और संघर्षविषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय का आयोजन किया गया। आज पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो.रवींद्रनाथ मिश्र ने कहा कि परसाई का साहित्य जनपक्षधरता का साहित्य है।परसाई ने आम आदमी के प्रश्नों के साथ व्यवस्था से टकराने का नैतिक साहस दिखाया।

मुख्य वक्ता प्रो.मुक्तेश्वर नाथ तिवारी ने कहा परसाई घोषित रूप से प्रगतिशील हैं।उनका समस्त साहित्य विवेक की अभिव्यक्ति है।वे एक संस्था की तरह दिखते और लिखते हैं।डॉ पंकज साहा ने कहा परसाई का व्यंग्य जीवन से साक्षात्कार करवाता है परसाई कबीर की परंपरा को आगे बढ़ाते हैं।डॉ रणजीत सिन्हा ने कहा परसाई का पूरा लेखन व्यवस्था की खामियों के विरोध में लिखा गया।डॉ रेणु गुप्ता ने कहा परसाई सामाजिक कुरीतियों को सिर्फ उजागर नहीं करते बल्कि जनमत भी तैयार करते हैं।

दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ प्रोफेसर दामोदर मिश्र ने कहा आजादी के बाद मोहभंग के लेखक हैं परसाई।उन्होंने प्रेमचंद की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए जनविरोधी मूल्यों की जमकर खिल्ली उड़ाई है। साथ ही आज सुषमा कुमारी, अरुण कुमार, तेजेश्वर नोनिया, उष्मिता गौड़ा, ज्योति जायसवाल, सोनी साव, गायत्री वाल्मीकि, स्वाति मिश्रा, प्रियंका सिंह, कंचन भगत, शशि प्रभा यादव, रिया श्रीवास्तव और सोनम सिंह ने आलेख पाठ किया।

संवाद सत्र में श्रोताओं ने विद्वानों के समक्ष परसाई संबंधी प्रश्नों को उठाकर संगोष्ठी को जीवंत बना दिया। इस अवसर पर विभाग के विद्यार्थियों द्वारा परसाई की रचना सदाचार का ताबीजका नाट्य मंचन किया गया और प्रगतिशील कविता पर एक कविता कोलाज प्रस्तुत हुआ, इसमें निशा कुमारी, श्रेया सरकार, नेहा शर्मा, बेबी सोनम, लक्ष्मी यादव, आरती कुमारी, संजना कुमारी गुप्ता और मधु साव ने हिस्सा लिया। 

पहले दिन प्रो. शंभुनाथ ने कहा – ” व्यंग्य के प्रति असहिष्णुता के समय में व्यंग्य को समर्पित ऐसी संगोष्ठी व्यंग्य का सम्मान है . परसाई व्यंग्य को बतौर समाज सुधार का औजार इस्तेमाल कर रहे थे. “

प्रथम सत्र मे विद्यासागर विश्वविद्यालय के कुलपति सुशांत कुमार,  हिंदी विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति प्रो. दामोदर मिश्र व विभागाध्यक्ष प्रमोद प्रसाद आदि उपस्थित थे . कहानीकार शेखर मल्लिक ने परसाई के व्यंग्य को सामाजिक परिष्करण का पथ कहा . सुमन शर्मा , रचना रश्मि व नेहा यादव ने विषय पर आलेख पाठ किया . 

दूसरे सत्र के अध्यक्ष प्रो. दामोदर मिश्र ने कहा – ” धर्मांधता , भ्रष्टाचार  ओर अन्याय के खिलाफ परसाई लिखते रहे . मुख्य वक्ता रविंद्रनाथ मिश्र ने कहा – ” परसाई का साहित्य हमें आक्रोश के बीच भी चिंतन को उकसाता है .” डॉ इबरार खान ने परसाई के व्यंग्य को वर्त्तमान समय के लिए प्रासंगिक होने की बात की .

 

कार्यक्रम का सफल संचालन उष्मिता गौड़ा, मदन शाह और सोनम सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. श्रीकांत द्विवेदी ने दिया।

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