झारग्राम की ‘सदगोपाल’ जाति को OBC वर्ग में शामिल करने की सियासी और सामाजिक पुष्टि






पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल ही में एक अहम घोषणा की है जिसके अंतर्गत झारग्राम जिले की प्राचीन व प्रतिष्ठित ‘सदगोपाल’ (Sadgop/Sadgope) जाति को भी Other Backward Classes (OBC), यानी पिछड़ा वर्ग, की सूची में शामिल किया गया है।




पश्चिम बंगाल के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की तरफ से 3 जून 2025 तक आये नव-समावेश की सूची जारी की गई है। इस सूची में कुल 140 समुदायों को OBC की श्रेणी में शामिल किया गया है; जिन्हें दो श्रेणियों – Category-A (More Backward) और Category-B (Backward) – में विभाजित किया गया है ।

🧭 यह सौगात क्यों महत्वपूर्ण है?
1. आरक्षण का अधिकार
सूची में शामिल होने के बाद सदगोपाल जाति अब सरकारी नौकरियों, शिक्षण संस्थानों में दाखिले तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं में OBC आरक्षण का लाभ प्राप्त करेगी।
2. ऐतिहासिक पहचान
सदगोपाल जाति, जो वैदिक परंपरा में गोपाल या यादव संप्रदाय से उत्पन्न मानी जाती है, कृषि प्रधान समाज रही है, विशेष रूप से बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में । यह जाति कृषक, ज़मींदार और स्थानीय स्वामियों के रूप में सामाजिक-राजनीतिक प्रभुत्व भी रखती रही है।
3. झारग्राम से इसका सामाजिक प्रभाव
झारग्राम में सदगोपाल समुदाय का एक पुराना और सकारात्मक सामाजिक-राजनीतिक उत्तराधिकार रहा है। इसलिए इस जाति को OBC सूची में शामिल करना, क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक तस्वीर में बदलाव ला सकता है।
🧩 सूची में क्या‑क्या बदलाव हुए हैं?
27 मई और 3 जून 2025 की अधिसूचनाओं में कई जातियाँ OBC सूची में जोड़ी गईं, जिनमें मुस्लिम समुदायों जैसे ‘सेख/शेख’, ‘खान (मुस्लिम)’, ‘मुस्लिम मोल्ला’ और साथ ही ‘नेपाली ब्राह्मण’ कितने जा चुके हैं ।
इसी श्रृंखला में ‘Sadgope/Sadgop’ समुदाय को भी शामिल किया गया।
📋 वर्ग विभाजन का सारांश
**Category-A (More Backward – अत्यधिक पिछड़ी श्रेणी)**
इसमें कुल 49 जातियाँ हैं, जिन्हें आरक्षण में प्राथमिकता दी जाती है।
**Category-B (Backward – पिछड़ी श्रेणी)**
इसमें 91 जातियाँ सम्मिलित हैं, जिनका आरक्षण अलग ढांचे में होता है ।
न्यू OBC सूची में ‘Sadgope/Sadgop’ को Category-B श्रेणी में रखा गया है, जो सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से पिछड़ी लेकिन अपेक्षाकृत प्राथमिक श्रेणी है।
🌱 सदगोपाल जाति का सामाजिक और ऐतिहासिक प्रभाव
सदगोपाल या ग़ोप जाति का इतिहास सनाल, मुंडा, कुडमी महतो आदि आदिवासी समुदायों के साथ सहअस्तित्व में रहा है ।
वे पारंपरिक रूप से कृषि के साथ-साथ ज़मींदारी, व्यापार और धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय रहे।
कई सदगोपाल परिवारों ने धार्मिक आंदोलन किए, जैसे कि साहम्णांडा और ऑलाचंद द्वारा स्थापित मार्ग, जिससे उनका समाज में आध्यात्मिक प्रभाव भी रहा ।
✅ अब अगला कदम क्या होगा?
1. उपयोगकर्ताओं को अपनी जाति प्रमाणित करवानी होगी।
सदगोपाल जाति के लोग अब संबंधित पंचायत/नगर निगम या जिला कार्यालय से जाति प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकेंगे।
2. शैक्षणिक और रोजगार क्षेत्र में आवेदन प्रमुख होगा।
सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में OBC श्रेणी के तहत आवेदन करने वाले सदगोपाल अभ्यर्थियों को आरक्षण मिलेगा।
3. समाज तथा राजनीति से जुड़े पहल।
आरक्षण का लाभ मिलने के बाद सदगोपाल समाज में राजनीतिक चेतना और संगठनात्मक शक्ति दोनों में वृद्धि होने की संभावना है।
✍️ निष्कर्ष
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सदगोपाल जाति को OBC सूची में शामिल करने का यह कदम न सिर्फ सामाजिक न्याय का प्रतीक है, बल्कि राज्य की आरक्षण नीति की सोच को भी दर्शाता है। यह जाति, जो ऐतिहासिक रूप से ग्रामीण, कृषि-समृद्ध और स्थानीय राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण रही है, अब आरक्षण की सुविधा से अपने आगे बढ़ने का रास्ता पाकर सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त बन सकती है। यह निर्णय झारग्राम एवं आसपास के समुदायों के हितों, शिक्षा और रोजगार के अवसरों में नए आयाम लाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
