जंगल में हाथी शावक की दर्दनाक मौत, वन विभाग ने मामले की शुरू की तहकीकात






सुबह मिर्गा जंगल (शालबनी ब्लॉक, मिर्गा बीट, आड़ाबाड़ी रेंज, मेदिनीपुर वन विभाग) में एक हाथी के शावक का मृत शरीर मिला, जिससे जंगल और आसपास के क्षेत्रों में गहरी चिंता फैल गई।




घटना की विस्तार से जानकारी:

बुधवार रात लगभग 50 हाथियों का एक झुंड शालबनी सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल के पीछे स्थित मैदान में चरने के लिए आया था, और फिर सब सुबह मिर्गा जंगल की ओर चला गया। उसी झुंड में से एक शावक का शव पाया गया, जिसकी उम्र अनुमानतः डेढ़ से तीन साल के बीच बताई जा रही है।
जंगल में सुबह लगभग 3:30–4:00 बजे अचानक कराहने की तरह आवाज़ सुनकर वनकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे और वहां इस शावक को मृत पाया। तुरंत ही चिकित्सकों को बुलाया गया और शव को मय-नतांत जांच के लिए भेजा गया।
आड़ाबाड़ी रेंज के रेंज अधिकारी बाबलू मंडी ने प्राथमिक तौर पर बताया कि संभवत: शावक ने ज़्यादा भोजन करने के कारण अपनी जान गंवाई। हालांकि, मौत के असली कारण की पुष्टि सिर्फ पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही संभव हो पाएगी।
शालबनी के स्थानीय क्रीड़ा संगठन से जुड़े संदीप सिंह ने बताया कि जंगलमहाल के लोग हाथियों को “देवता” मानते हैं, और इस दुखद घटना ने सभी का मन दुखी कर दिया। सुबह से ही गांववासी शव देखने के लिए इकट्ठा हुए।
पिछले इसी क्षेत्र में हुई दुर्घटना: कुछ हफ़्ते पहले झाड़ग्राम में जनशताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आती हुई दो हाथी शावक और उनकी माँ की मौत हो गई थी। उस घटना के बाद वन विभाग ने ट्रेन के ड्राइवर, स्टेशन मैनेजर (सरोढिहा) और खड़गपुर डिवीजनल ट्रैफिक इंस्पेक्टर के खिलाफ गफ़लत का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी।
निष्कर्ष:
मिर्गा जंगल में एक हतज़ी शावक की संदिग्ध मृत्यु ने वन विभाग और स्थानीय लोगों को सकते में डाल दिया है। वनकर्मियों के प्रारंभिक अनुमान से यह जानवर अत्यधिक भोजन के कारण मृत्यु को प्राप्त हुआ हो सकता है, लेकिन मौत की सच्ची वजह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगी। इस प्रकार की घटनाएँ वन्य जीवन की नाजुकता और संरक्षण की आवश्यकता को एक बार फिर रेखांकित करती हैं।
