December 5, 2025

स्लीप ऑफ टंग’ पर TMC का सख्त निर्देश — अब कोई स्लिप नहीं बर्दाश्त

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तृणমূল कांग्रेस (TMC) ने अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं के लिए एक स्पष्ट संदेश भेजा: राजनीतिक सभाओं में “tongue slip” यानी ग़लती से गलत नाम की जयकार चलना अब स्वीकार्य नहीं रहेगा।

क्या हुआ था?

नंदीग्राम के बिरुलिया महेश्वर बाजार में आयोजित एक TMC सभा में पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष महादेव बागो मंच पर बोल रहे थे। शुरुआत में उनके नारों में सब कुछ ठीक था—“2026 में 250 सीट जीतकर ममता बनर्जी फिर नवान्न में जाएँगी, जय हिंद, TMC ज़िंदाबाद, ममता बनर्जी ज़िंदाबाद।” लेकिन इसके बाद अचानक उन्होंने कह दिया: “युवा नेता शुभेंदु अधिकारी ज़िंदाबाद।”

दर्शकों ने इस अनपेक्षित नार पर हँसी उड़ाई, जबकि मंच पर मौजूद वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें सुधारने पर मजबूर किया। महादेव ने बाद में कहा: “फुसफुसाते हुए कह गया, उसका उद्देश्य नहीं था… मेरा ममता बनर्जी के साथ रहा है और रहेगा।”

TMC की प्रतिक्रिया:

इस ग़लती के बाद TMC ने पूर्व-मेदिनीपुर के तमलुक जिला संगठन में “0 टॉलरेंस” यानी “शून्य सहिष्णुता” की नीति लागू कर दी है। अब सभाओं से पहले “बाग्मिता पाठ” (वाणी की तैयारी) करवाई जाएगी ताकि स्लिप-ऑफ-टंग जैसी स्थिति का दोबारा सामना न करना पड़े। अगर गलती दोहराई गई, तो ठोस कार्रवाई का भी संकेत दिया गया है।

भाजपा प्रतिक्रिया:

भाजपा के तमलुक संगठन के उपाध्यक्ष प्रलय पाल ने इस घटना को तंज कसते हुए कहा कि “TMC के नेता शुभेंदु अधिकारी का इतना ज़िक्र करते हैं कि रह-रहकर उन्हें याद करने पर मजबूर हो जाते हैं।”

राजनीतिक पृष्ठभूमि:

यह घटना राजनीतिक रूप से संवेदनशील समय में हुई है, क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए TMC और BJP दोनों ही पूर्व-मेदिनीपुर में अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हुए हैं। 2021 के विधानसभा चुनाव में BJP ने जिले की 16 सीटों में से 7 सीटें जीती थीं, जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में जिले की दो सीटों पर BJP ने जीत हासिल की थी। नवंबर 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान 16 सीटों में से 15 पर TMC आगे थी, लेकिन इससे यह साबित होता है कि जिले में राजनीतिक रूप से टक्कर कड़ी है।

निष्कर्ष:

TMC ने स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक सभाओं में एक-एक शब्द मायने रखता है। “स्लीप ऑफ टंग” जैसी भूलें अब स्वीकार्य नहीं, और पार्टी ऐसे मामलों में अब “जीरो टॉलरेंस” नीति अपनाएगी। यह संदेश न केवल नेतृत्व तक सीमित है, बल्कि निचली पात के कार्यकर्ताओं तक भी पहुंचाया जाएगा—संदेश स्पष्ट है: “स्लिप नहीं, अब संभल कर बोलना।”

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