दुर्गा पूजा के बीच डेंगू का ख़तरा: जनता को जरूर होनी चाहिए सतर्कता






मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल) — जैसे ही शहर और ग्रामीण क्षेत्र दुर्गा पूजा की तैयारियों में जुटे हैं, स्वास्थ्य विभाग और पूजा समितियाँ डेंगू के बढ़ते खतरे पर भी चितित हैं। इस वर्ष, पूजा आयोजकों ने इसे सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सुरक्षा और स्वास्थ्य जागरूकता का अवसर बनाने का निर्णय लिया है।




डेंगू की स्थिति और आंकड़े:

जिले के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इस साल 21 सितंबर तक मेदिनीपुर जिले में कुल 292 लोग डेंगू से प्रभावित पाए गए हैं।
संक्रमण की उच्चतम संख्या नारायणगढ़ ब्लॉक में पाई गई (58 मामले)। इसके बाद केशपुर (29), देबरा (27), घाटा (20) आदि ब्लॉकों का नाम आता है।
कुछ ब्लॉकों जैसे दंतन-2 (17), सबंग (16), पिंगला (15), गड़बेता-1 (13), दासपुर-2 (10) में भी 10 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं।
चंद्रकोणा नगर पालिका क्षेत्र में इस वर्ष एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ।
एक संदर्भ के तौर पर, वर्ष 2023 में पूरे जिले में डेंगू से प्रभावित लोगों की संख्या लगभग 2800 थी, जबकि 2024 में यह संख्या 1440 थी।
ये आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्षों की तुलना में संक्रमण में कमी हुई है, लेकिन समस्या पूरी तरह नियंत्रित नहीं हुई है।
पूजा समितियों की भूमिका और प्रयास-
डेंगू के ख़तरे को ध्यान में रखते हुए, पूजा समितियाँ निम्न रणनीति अपना रही हैं:
1. मच्छरदानी वितरण:
— कई समितियाँ मच्छरदानी (mosquito nets) वितरण कर रही हैं ताकि रात में सोते समय मच्छरों द्वारा काटने से बचाया जा सके।
— उदाहरण स्वरूप, पिंगला ब्लॉक की एक समिति “कोचबिहार राजबाड़ी” थीम के अंतर्गत 200 मच्छरदानी वितरण की योजना बना रही है।
2. सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जागरूकता अभियान:
— पूजा पंडालों में नाच-गान, चित्रकला प्रतियोगिता के साथ-साथ डेंगू-जागरूकता शिबिर आयोजित किए जाएंगे।
— छठी (उत्सव के छठे दिन) पर विशेष जागरूकता शिविर रखने की योजना है, जिसमें लोगों को बताया जाएगा कि डेंगू से कैसे बचा जाए।
3. सफाई एवं जल निकासी पर ध्यान:
— समितियों ने पंडालों के आसपास पानी रोकने वाले स्थानों को साफ रखने की जिम्मेदारी ली है।
— विदित है कि डेंगू फैलने वाले मच्छर स्थिर पानी में पनपते हैं — इसलिए नाली, टायर, गमलों आदि में पानी जमा न होने दिया जाएगा।
4. सार्वजनिक संदेश एवं अपील:
— लोगों को बताया जाएगा कि नींद में मच्छरदानी का उपयोग करें, घर के चारों ओर स्वच्छता रखें, और यदि किसी को बुखार हो तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।
— पूजा आयोजक समुदाय एवं सचिव का कहना है कि “डेंगू जानलेवा हो सकता है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।”
चुनौतियाँ एवं सुझाव:
बहुत से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएँ सीमित हैं। समय पर निदान न होने पर सूक्ष्म लक्षण बड़ी समस्या बन सकते हैं।
जल संचयन की अपरिहार्यता, खुले बर्तन, नाले बंद होना — ये सभी जोखिम को बढ़ाते हैं।
प्रत्येक परिवार को अपने स्तर पर निम्न उपाय अपनाने चाहिए: बर्तन एवं टायर को उल्टा रखें, घास-फूस न उगने दें, और कवर न करना संभव न हो तो नियमित रूप से पानी बदलें।
निष्कर्ष:
इस वर्ष की दुर्गा पूजा सिर्फ भक्ति एवं भव्यता का उत्सव नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और सुरक्षा का पवित्र अभियान बन सकती है। यदि जनता, आयोजक एवं प्रशासन मिलकर काम करें, तो डेंगू जैसी बीमारियों को पूजा की खुशी से दूर रखा जा सकता है।
