मतदाता सूची संशोधन में बड़ा खुलासा, पूर्व मेदिनीपुर में 50 हजार से अधिक ‘मृत’ मतदाताओं के नाम मिले






पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले में चुनाव आयोग के निर्देश पर चल रहे मतदाता सूची के विशेष संशोधन (Special Intensive Revision – SIR) अभियान के दौरान चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। रविवार सुबह तक की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 50,000 से अधिक ऐसे मतदाताओं की पहचान की गई है जिनकी मृत्यु हो चुकी है। इस खुलासे ने न केवल प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है, बल्कि राज्य में एक नया राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया है।




प्रमुख बिंदु:

अभियान की शुरुआत: चुनाव आयोग के निर्देश पर यह अभियान 4 नवंबर से शुरू हुआ था।
कुल मृत मतदाता: रविवार सुबह 7 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक, जिले की 16 विधानसभा सीटों पर कुल 50,233 मृत मतदाताओं के नाम सामने आए हैं।
सर्वाधिक मामले: सबसे अधिक मृत मतदाता ‘पांशकुड़ा पश्चिम’ विधानसभा क्षेत्र में मिले हैं, जहाँ यह संख्या लगभग 4,401 है। इसके बाद ‘पांशकुड़ा पूर्व’ का स्थान है, जहाँ करीब 3,981 मृत मतदाता मिले हैं।
सबसे कम मामले: ‘चंडीपुर’ विधानसभा में सबसे कम, लगभग 2,239 मृत मतदाताओं की पहचान हुई है।
हजारों मतदाता ‘लापता’ और ‘स्थानांतरित’
सिर्फ मृत मतदाता ही नहीं, बल्कि हजारों की संख्या में मतदाता अपने पते से नदारद भी पाए गए हैं।
लापता मतदाता: बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) को लगभग 6,112 मतदाता अपने पते पर नहीं मिले। कई बार दौरा करने के बाद भी उनका कोई सुराग नहीं मिल सका। सबसे अधिक 621 ‘लापता’ मतदाता ‘कांथी दक्षिण’ विधानसभा में हैं।
स्थायी रूप से गए: प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, लगभग 33,730 मतदाता जिला छोड़कर स्थायी रूप से कहीं और बस गए हैं। इसमें सबसे ज्यादा पलायन ‘एगरा’ विधानसभा क्षेत्र (करीब 3,471) से हुआ है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू
इन आंकड़ों के सार्वजनिक होते ही तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है।
भाजपा का आरोप: भाजपा के तमलुक संगठनात्मक जिले के महासचिव मेघनाद पाल ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस के एजेंट BLO अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं ताकि मृत मतदाताओं को जीवित दिखाया जा सके। उनका दावा है कि मृत मतदाताओं की वास्तविक संख्या और अधिक हो सकती है।
तृणमूल का पलटवार: वहीं, तृणमूल कांग्रेस के नेता शेख सूफियान ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि भाजपा अपनी हार के डर से बेबुनियाद बातें कर रही है। उन्होंने कहा कि मृत मतदाताओं ने कभी वोट नहीं डाला और 2026 तक भाजपा को झंडा उठाने वाले कार्यकर्ता भी नहीं मिलेंगे।
फिलहाल, मतदाता सूची को शुद्ध करने की प्रक्रिया जारी है, और अंतिम सूची प्रकाशित होने पर स्थिति और स्पष्ट होने की उम्मीद है।
