अस्पताल के पास कचरे के ढेर और जहरीले धुएं से बढ़ा संकट, मरीजों की सांसों पर पहरा






पश्चिम बंगाल के औद्योगिक शहर खड़कपुर में वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है। पहले से ही कारखानों के धुएं से जूझ रहे इस शहर में अब कचरे के ढेर से उठने वाले जहरीले धुएं ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि यह कचरा खड़कपुर अनुमंडल अस्पताल (Kharagpur Sub-divisional Hospital) के ठीक बगल में जमा हो रहा है, जिससे मरीजों की जान को खतरा पैदा हो गया है।




अस्पताल के पास ‘जहर’ उगल रहा कचरा

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अस्पताल से सटे धोबीघाट इलाके में कचरे का अंबार लगा हुआ है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस अवैध डंपिंग ग्राउंड में अक्सर आग लगा दी जाती है, जिससे निकलने वाला जहरीला धुआं सीधे अस्पताल परिसर में पहुंचता है। शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पहले ही 200 के करीब पहुंच चुका है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ऐसे में कचरे के जलने से स्थिति और भयावह हो गई है।
मरीजों और स्थानीय लोगों पर गहरा असर
अस्पताल के अधीक्षक गौतम माइती ने स्थिति को गंभीर बताया है। उन्होंने कहा, “यह भीषण प्रदूषण अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए बेहद हानिकारक है। ठंड के मौसम में यह धुआं कई लोगों के लिए सांस की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। हमने इस समस्या के बारे में रेलवे और नगरपालिका को कई बार सूचित किया है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”
रेलवे और नगरपालिका में आरोप-प्रत्यारोप
प्रदूषण के इस गंभीर मुद्दे पर प्रशासन समाधान खोजने के बजाय एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपता नजर आ रहा है। खड़कपुर नगरपालिका की चेयरपर्सन कल्याणी घोष ने दावा किया है कि जिस जगह पर कचरा फेंका जा रहा है, वह रेलवे की जमीन है और रेलवे ही वहां कचरा डालता है। उन्होंने कहा कि वे इस संबंध में रेलवे को पत्र लिखेंगी। दूसरी ओर, रेलवे अधिकारियों की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि करीब 70 साल पुरानी नगरपालिका होने के बावजूद शहर के पास अपना कोई व्यवस्थित डंपिंग ग्राउंड नहीं है, जिसका खामियाजा अब आम जनता और बीमार मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
