अभिजीत गंगोपाध्याय की सलाह दरकिनार, भाजपा ने बंगाल में बाहरी नेताओं की फौज उतारने का किया फैसला






भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केंद्रीय नेतृत्व ने पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। पार्टी ने तमलुक से सांसद और पूर्व न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की उस सलाह को नजरअंदाज कर दिया है, जिसमें उन्होंने बाहरी राज्यों के नेताओं को बंगाल चुनाव से दूर रखने की बात कही थी। खबरों के मुताबिक, भाजपा आलाकमान ने तय किया है कि दिसंबर के मध्य से दूसरे राज्यों के नेता बंगाल में चुनाव प्रचार और प्रबंधन की कमान संभालेंगे।




क्या थी अभिजीत गंगोपाध्याय की सलाह?

हाल ही में सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि ‘हिंदी पट्टी’ (Hindi Belt) से नेताओं को लाकर बंगाल में चुनाव नहीं लड़ा जाना चाहिए। उनका तर्क था कि दिल्ली और अन्य राज्यों के नेता पश्चिम बंगाल के लोगों की मानसिकता और मिजाज को नहीं समझते हैं। हालांकि, उनके इस बयान के 15 दिन भी नहीं बीते थे कि केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश, गुजरात और अन्य राज्यों के नेताओं को बंगाल भेजने का खाका तैयार कर लिया।
किन नेताओं को मिली जिम्मेदारी?
सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने अलग-अलग क्षेत्रों के लिए बाहरी नेताओं की जिम्मेदारियां तय कर दी हैं:
- राढ़ बंगाल: छत्तीसगढ़ के नेता पवन साय और उत्तराखंड के मंत्री धन सिंह रावत।
- हावड़ा-हुगली: दिल्ली के भाजपा नेता पवन राणा।
- मेदिनीपुर: उत्तर प्रदेश के नेता जेपीएस राठौर।
- कोलकाता और दक्षिण 24 परगना: हिमाचल प्रदेश के शीर्ष नेता एम. सिद्धार्थन और कर्नाटक के सी.टी. रवि।
- नदिया और उत्तर 24 परगना: आंध्र प्रदेश के एन. मधुकर और उत्तर प्रदेश के सुरेश राणा।
इसके अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी और कर्नाटक के अरुण बिन्नाडी जैसे नेताओं को भी ‘वोट मैनेजमेंट’ और स्थानीय नेताओं को गाइड करने के लिए बंगाल के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाएगा। खबर है कि इन नेताओं के काम को सुगम बनाने के लिए साल्ट लेक में राज्य भाजपा कार्यालय के पास एक नया ऑफिस भी बनाने की योजना है।
पार्टी के भीतर सुर और विरोध
अभिजीत गंगोपाध्याय के बयान को भाजपा के वरिष्ठ नेता तथागत रॉय का भी समर्थन मिला है। रॉय ने मीडिया से कहा कि हिंदी पट्टी की सोच बंगाल से मेल नहीं खाती, खासकर जातिगत समीकरणों को लेकर। उन्होंने 2021 के चुनावों में कैलाश विजयवर्गीय को प्रभारी बनाए जाने को एक गलती बताया।
वहीं, राज्य भाजपा के मुख्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने इस फैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा, “भाजपा एक अखिल भारतीय पार्टी है। चुनाव के समय दूसरे राज्यों के कार्यकर्ताओं का आना सामान्य प्रक्रिया है। बंगाल के नेता भी दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए जाते हैं।”
अब देखना यह होगा कि 2021 की गलतियों से सबक लेते हुए भाजपा इन बाहरी नेताओं का उपयोग किस रणनीति के तहत करती है, और बंगाल की जनता इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।
