IIT खड़गपुर में एक और छात्र की संदिग्ध मौत, फिर उठे सवाल






खड़गपुर, 18 जुलाई 2025 – देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT खड़गपुर में एक बार फिर छात्र की रहस्यमय मौत ने सबको चौंका दिया है। मकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अंतिम वर्ष के छात्र ऋतम मंडल (21) का शव संस्थान के राजेन्द्र प्रसाद (RP) हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटका हुआ पाया गया।




बताया गया कि सुबह कई बार दरवाजा खटखटाने पर जब कोई जवाब नहीं मिला, तब उसके दोस्त और हॉस्टल प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंचकर दरवाजा तोड़ा और छात्र को बाहर निकाला। उसे तुरंत बीसी रॉय अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।


पुलिस के मुताबिक, ऋतम पश्चिम बंगाल के कोलकाता के रीजेंट पार्क इलाके का निवासी था। प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला माना जा रहा है, लेकिन असली कारण का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा।
पिछली घटनाएं भी कर रहीं सवाल खड़े
IIT खड़गपुर में यह पहली बार नहीं है जब किसी छात्र की रहस्यमय मौत हुई हो। साल 2022 के अक्टूबर से अब तक सात छात्रों की असामान्य परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। इनमें से चार छात्र केवल इस वर्ष 2025 में ही जान गंवा चुके हैं।
12 जनवरी 2025: तीसरे वर्ष के छात्र सोन मलिक की मौत
20 अप्रैल 2025: छात्र अनिकेत वाकर की संदिग्ध आत्महत्या
4 मई 2025: मोहम्मद आसिफ कमर का शव फांसी पर लटका मिला
अब 18 जुलाई 2025: ऋतम मंडल की मृत्यु
इन लगातार हो रही घटनाओं ने संस्थान की मानसिक स्वास्थ्य प्रणाली और छात्रों पर पड़ने वाले दबाव को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया: ‘सेतु’ ऐप से समाधान की कोशिश
हाल ही में संस्थान के नए निदेशक प्रो. सुमन चक्रवर्ती ने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की दिशा में पहल की है। उन्होंने ‘सेतु’ नामक एक AI-आधारित मोबाइल ऐप लॉन्च करने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य छात्रों की मानसिक स्थिति का विश्लेषण कर उन्हें समय रहते मदद पहुंचाना है। यह ऐप जुलाई के अंत तक लॉन्च किया जा सकता है।
‘सेतु’ ऐप छात्रों को गुमनाम रूप से अपनी स्थिति दर्ज करने और उचित काउंसलिंग सेवाओं से जोड़ने का वादा करता है। इसके अलावा संस्थान में 24×7 काउंसलिंग और सहायक वॉर्डन प्रणाली को भी सक्रिय किया जा रहा है।
निष्कर्ष:
IIT खड़गपुर में हो रही लगातार छात्र मौतें सिर्फ संस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र के लिए एक चेतावनी हैं। छात्रों पर पढ़ाई और करियर की चिंता का जो दबाव है, वह कहीं न कहीं उन्हें मानसिक रूप से कमजोर बना रहा है। ‘सेतु’ जैसे तकनीकी समाधान जरूरी हैं, लेकिन इसके साथ-साथ एक संवेदनशील और सहयोगी शैक्षणिक माहौल बनाना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
