21 जुलाई की शहीद दिवस रैली से पहले कोलकाता में सियासी गर्मी, NRC नोटिस से चर्चा में दिनहाटा के उत्तम ब्रजवासी






21 जुलाई को तृणमूल कांग्रेस की वार्षिक शहीद दिवस रैली को लेकर कोलकाता के धर्मतला इलाके में जबरदस्त हलचल है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद इस विशाल जनसभा को संबोधित करेंगी। रैली से पहले ही राज्य भर से हजारों समर्थक राजधानी में जुटने लगे हैं। हावड़ा, कूचबिहार, दिनहाटा, उत्तर व दक्षिण 24 परगना से तृणमूल कार्यकर्ता और समर्थक बैनर-पोस्टर, नारे और उत्साह के साथ शहर की ओर कूच कर रहे हैं।




इस बड़े राजनीतिक कार्यक्रम के बीच एक नागरिक अधिकार से जुड़ा मामला भी सुर्खियों में आ गया है — दिनहाटा के निवासी उत्तम ब्रजवासी को असम के कामरूप जिले से NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) से संबंधित नोटिस मिला है। जबकि उनका साफ दावा है कि उन्होंने कभी असम नहीं देखा और उनका पूरा परिवार पीढ़ियों से पश्चिम बंगाल में ही रह रहा है।

उत्तम ब्रजवासी का कहना है कि उन्हें ‘विदेशी नागरिक’ के संदेह में ट्राइब्यूनल से नोटिस मिला है जिसमें लिखा गया है कि उनके पूर्वज असम में कई साल रहे और बाद में बंगाल आए। वह कहते हैं, “मेरी उम्र 50 साल है, मैं कभी असम नहीं गया। मेरे पिता और दादा भी कभी असम नहीं गए।”
नोटिस के अनुसार, अगर उन्होंने जवाब नहीं दिया तो छह दिन के अंदर उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है। उत्तम के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है क्योंकि उनके जन्म के समय गांव में स्वास्थ्य केंद्र या रजिस्ट्रेशन की सुविधा नहीं थी। उन्होंने एक वकील की मदद से गुवाहाटी जाकर सलाह ली और जरूरी दस्तावेज जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस मुद्दे पर तृणमूल नेतृत्व ने उत्तम को पूरा समर्थन देने का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा, “पार्टी के नेताओं ने मुझसे कहा है कि घबराने की जरूरत नहीं, हम तुम्हारे साथ हैं। मैं चाहता हूं दीदी (ममता बनर्जी) इस पर खुलकर बोलें।”
तृणमूल कांग्रेस NRC को लेकर पहले से ही बीजेपी सरकार की आलोचना करती आ रही है और इस मामले को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि ममता बनर्जी कल की रैली में NRC और नागरिक अधिकारों से जुड़े विषयों पर जोर दे सकती हैं।
शहीद दिवस की यह रैली तृणमूल के लिए सिर्फ एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं की निष्ठा और पार्टी के मूल्यों को सामने लाने का माध्यम भी है। यह दिन तृणमूल के लिए भावनात्मक, राजनीतिक और रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जाता है।
उत्तम ब्रजवासी जैसे मामलों को सामने लाकर पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि वह आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर है। ऐसे मुद्दों को सामने लाकर तृणमूल बीजेपी की नीतियों को चुनौती देना चाहती है, खासकर सीमावर्ती जिलों में जहां NRC का डर अब भी लोगों को सता रहा है।
अब नजरें टिकी हैं 21 जुलाई की ममता बनर्जी की स्पीच पर — क्या वह NRC के मुद्दे को लेकर सख्त रुख अपनाएंगी? क्या वे उत्तम ब्रजवासी जैसे नागरिकों के लिए समर्थन का ऐलान करेंगी? और क्या यह रैली आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति की झलक देगी? ये सारे सवाल बंगाल की राजनीति को एक नया मोड़ दे सकते हैं।
