खड़गपुर में रथ यात्रा की धूम, दीघा के जगन्नाथ मंदिर में पहली रथ यात्रा: भक्ति का उत्सव, प्रशासन की सख्ती और राजनीति की हलचल






खड़गपुर जगन्नाथ मंदिर से आज भगवान जगन्नाथ बलराम व बहन सुभद्रा के साथ मौसी घर गए। स्नान पुर्णिमा के बाद से ही भगवान जगन्नाथ को बुखार हो जाने से मंदिर के कपाट बंद थे मंदिर के कपाट खुले व नवयौवन दर्शन हुआ दोपहर बाद रथयात्रा निकाली गई।




ज्ञात हो कि मौसी घर से नौ दिनों के बाद को भगवान वापस लौटेंगे। इधर डीवीसी रथतला मैदान में रथ में सवार हो भगवान मौसी घर गए। मेदिनीपुर के जगन्नाथ मंदिर, झाड़ग्राम के राजबाड़ी व पूर्व मेदिनीपुर जिले के महिषादल राजबाड़ी में भी रथयात्रा का आयोजन किया गया। शाम छिटपुट बारिश के कारण उत्सव में कुछ खलल जरुर पड़ा पर बाद में मौसम साफ रहा।

दीघा, 27 जून 2025 — पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर जिले के लोकप्रिय समुद्री पर्यटन स्थल दीघा में आज पहली बार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन हुआ। हाल ही में उद्घाटन किए गए भव्य जगन्नाथ मंदिर को केंद्र कर यह उत्सव विशाल रूप ले चुका है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं दीघा पहुंचकर रथ मार्ग में झाड़ू लगाई।
✨ भक्ति और संस्कृति का संगम:
ज्ञात हो कि दीघा के इस जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन 30 अप्रैल 2025 को हुआ था। मंदिर की ऊंचाई 65 मीटर है और इसे पुरी मंदिर की तर्ज पर कलिंगा वास्तुकला में बनाया गया है। निर्माण कार्य में करीब 200–250 करोड़ रुपये की लागत आई है, और यह 20 एकड़ भूमि में फैला है।

🏨 पर्यटन में उछाल और होटल दरों पर नजर:
मंदिर के उद्घाटन के बाद से दीघा में पर्यटकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। इसके साथ ही होटल मालिकों ने कमरों के किराए में अनियंत्रित बढ़ोतरी कर दी है। इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने होटल दरों की निगरानी शुरू कर दी है और मनमानी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
🛕 राजनीति बनाम धार्मिक भावना:
इस धार्मिक आयोजन को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। पुरी के शंकराचार्य ने मंदिर निर्माण पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह परियोजना धार्मिक भावना नहीं, बल्कि आर्थिक लाभ के लिए की गई है। इस बयान से विवाद गहराया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका जवाब देते हुए कहा, “यह आयोजन पूरी श्रद्धा और संस्कृति को समर्पित है, किसी की धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचाई गई।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह रथ यात्रा केवल धार्मिक कार्यक्रम नहीं बल्कि 2026 विधानसभा चुनाव से पहले एक रणनीतिक कदम है जिससे सांस्कृतिक और जनसमर्थन मजबूत किया जा सके।
📌 मुख्य तथ्य संक्षेप में:
उद्घाटन: 30 अप्रैल 2025
मंदिर की ऊंचाई: 65 मीटर
लागत: ₹200–250 करोड़
