December 5, 2025

रेपो दर में 0.50% की कटौती: आरबीआई का बड़ा कदम, कर्ज धारकों को राहत

0
file_00000000a88061f9819d75c2047aead4 (1)

6 जून 2025 — भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की बड़ी कटौती की है, जिससे यह दर अब 5.5 प्रतिशत रह गई है। इस फैसले का सीधा फायदा आम लोगों को मिलेगा, क्योंकि इससे होम लोन, ऑटो लोन और अन्य कर्जों की मासिक किश्तें (EMI) कम होंगी।

रेपो दर वह ब्याज दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। इसकी कटौती से बैंकों के लिए उधार लेना सस्ता हो जाता है, जिससे वे अपने ग्राहकों को भी सस्ती दरों पर ऋण दे सकते हैं।

आरबीआई का रुख हुआ ‘न्यूट्रल’:

इस बार की मौद्रिक नीति समीक्षा में रिज़र्व बैंक ने केवल दरों में कटौती ही नहीं की, बल्कि अपनी नीति का रुख भी ‘अनुकूलकारी’ (accommodative) से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है। इसका मतलब है कि भविष्य में ब्याज दरों में और कटौती की संभावना अब सीमित हो सकती है।

सीआरआर में भी राहत:

आरबीआई ने बैंकों के कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) में भी एक प्रतिशत की कटौती की है, जिसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। इससे बैंकों के पास ज्यादा नकदी उपलब्ध होगी और वे अधिक ऋण वितरण कर सकेंगे।

मुद्रास्फीति में गिरावट, विकास दर बरकरार:

केंद्रीय बैंक ने इस वर्ष की खुदरा महंगाई दर के अनुमान को 4% से घटाकर 3.7% कर दिया है। हालांकि, जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5% पर बनाए रखा गया है। यह दिखाता है कि महंगाई पर काबू पाया जा रहा है जबकि आर्थिक विकास की रफ्तार संतुलित बनी हुई है।

जनता को क्या होगा फायदा?

इस कदम से आम उपभोक्ताओं को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उनके कर्ज सस्ते होंगे। जिन लोगों के पास पहले से होम लोन या अन्य कर्ज हैं, उनकी ईएमआई घट सकती है। साथ ही नए कर्ज लेने वालों को भी कम ब्याज दरों पर ऋण मिल सकता है।

बाजार की प्रतिक्रिया:

नीति की घोषणा के बाद शेयर बाजार में हल्की तेजी देखने को मिली, जबकि बैंकों के शेयरों में खास उत्साह दिखा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए उठाया गया है और इससे कर्ज लेने की प्रवृत्ति में इज़ाफा हो सकता है।

निष्कर्ष:

रिज़र्व बैंक का यह फैसला ऐसे समय आया है जब वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। रेपो दर में यह कटौती न केवल बाजार को प्रोत्साहन देने वाला है, बल्कि इससे आम आदमी की जेब पर भी सीधा असर पड़ेगा। अब सभी की नजर इस बात पर होगी कि बैंक इस कटौती का लाभ ग्राहकों तक कितनी जल्दी और कितनी मात्रा में पहुँचाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *