July 17, 2025

खड़गपुर में सीपीएम नेता अनिल दास पहुँचे हाईकोर्ट, बोले – “स्थानीय पुलिस से न्याय की उम्मीद नहीं”

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खड़गपुर, 3 जुलाई 2025 – खड़गपुर में माकपा नेता अनिल दास पर हुए सार्वजनिक हमले के मामले में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की स्थानीय नेत्री बेबी कोले के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। लेकिन पुलिस द्वारा कोई उचित कार्रवाई न किए जाने पर अब उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट का रुख किया है।

क्या हुआ था?

सड़क पर हमला और नीला रंग डालने की घटना

बीते शनिवार को अनिल दास पर सरेआम हमला किया गया। उनके साथ मारपीट की गई और उनके ऊपर नीला रंग फेंका गया। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हुई और सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

एफआईआर के बावजूद कार्रवाई नहीं

अनिल दास ने खड़गपुर टाउन थाने में शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें तृণमूल नेता बेबी कोले को नामजद किया गया। लेकिन इसके बावजूद 72 घंटे बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। उल्टा उनके खिलाफ ही एक जवाबी मामला दर्ज कर लिया गया।

हाईकोर्ट की शरण में क्यों?

अनिल दास के वकील सब्यसाची चट्टोपाध्याय ने जानकारी दी कि अब यह मामला हाईकोर्ट में उठाया गया है। न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की अदालत में अगले सप्ताह इस पर सुनवाई हो सकती है।

तृणमूल कांग्रेस की प्रतिक्रिया:

नेत्री को भेजा गया शो-कॉज नोटिस

पश्चिम मिदनापुर जिले के तृणमूल अध्यक्ष सुजय हाजरा ने बताया कि पार्टी की ओर से आरोपी नेता को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। उनसे 3 दिन में जवाब मांगा गया था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।

घटना को बताया शर्मनाक

तृणमूल के कुछ स्थानीय नेताओं ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है, लेकिन पार्टी के उच्च स्तर पर कोई सीधा बयान सामने नहीं आया है।

परिवार का बयान:

अनिल दास के बेटे अनिरुद्ध दास ने कहा, “पुलिस की निष्क्रियता को देखकर हमें मजबूरी में हाईकोर्ट जाना पड़ा। हमें न्यायपालिका पर भरोसा है और वहीं से इंसाफ की उम्मीद है।”

क्या मिलेगा इंसाफ?

इस घटना ने खड़गपुर में राजनीति और प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या पुलिस निष्पक्ष जांच करेगी? क्या आरोपी के खिलाफ कार्रवाई होगी? क्या हाईकोर्ट में मामला दर्ज होने के बाद कोई ठोस कदम उठाया जाएगा? इन सब पर अब नजरें टिकी हैं।

सारांश में:

माकपा नेता अनिल दास को सरेआम पीटा गया और उनके ऊपर नीला रंग फेंका गया।

आरोपी तृणमूल नेता के खिलाफ एफआईआर के बावजूद पुलिस ने कार्रवाई नहीं की।

अब अनिल दास ने हाईकोर्ट में न्याय की गुहार लगाई है।

यह मामला अब राजनीतिक से ज्यादा न्यायिक मुद्दा बन चुका है, और आने वाले दिनों में हाईकोर्ट का फैसला इस पर निर्णायक साबित हो सकता है।

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