खुदरा महंगाई दर छह साल के निचले स्तर पर, रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद






देश की अर्थव्यवस्था से आई एक राहत भरी खबर ने आम जनता और निवेशकों को आश्वस्त किया है। जून 2025 में भारत की खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) बीते छह वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। इस गिरावट के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) आगामी मौद्रिक नीति बैठक में ब्याज दरों में एक और कटौती कर सकता है।




📉 महंगाई दर में बड़ी गिरावट

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जून महीने में खाद्य सामग्री, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता देखी गई, जिसके चलते खुदरा महंगाई में यह बड़ी गिरावट दर्ज हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की मौद्रिक और वित्तीय नीतियों के असर का संकेत है।
🏦 ब्याज दरों में कटौती की संभावना
महंगाई में इस गिरावट से रिज़र्व बैंक को ब्याज दरों को और कम करने का मौका मिल सकता है। यदि RBI रेपो रेट घटाता है, तो इससे बैंकों द्वारा दिए जाने वाले लोन सस्ते होंगे, जिससे उपभोग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इससे न केवल आम जनता को राहत मिलेगी बल्कि देश की आर्थिक विकास दर भी तेज हो सकती है।
💱 डॉलर-रुपया विनिमय दर पर असर
महंगाई में गिरावट का असर विदेशी मुद्रा बाजार में भी देखने को मिला है। अमेरिका में महंगाई बढ़ रही है, जबकि भारत में गिर रही है — इस अंतर के कारण डॉलर–रुपया फॉरवर्ड प्रीमियम में कमी आई है। एक साल का अनुमानित प्रतिफल (implied yield) घटकर लगभग 1.96% रह गया है। वहीं रुपया भी मजबूत हुआ है और अब एक डॉलर की कीमत करीब ₹85.78 के आसपास पहुंच गई है।
📊 अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत
आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार, महंगाई पर नियंत्रण देश की आर्थिक स्थिरता का संकेत देता है। इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, रोजगार के अवसर पैदा होंगे और उद्योगों को भी राहत मिलेगी। साथ ही, वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धा क्षमता में भी सुधार हो सकता है।
