दिलीप घोष का ‘चौंक’: तृणमूल के मंच के जवाब में भाजपा का शक्ति प्रदर्शन






जहाँ एक ओर तृणमूल कांग्रेस 21 जुलाई को कोलकाता में अपना पारंपरिक ‘शहीद दिवस’ मना रही थी, वहीं खड़गपुर में भाजपा नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने एक अलग सभा आयोजित कर अपने ‘चौंक’ की झलक दिखाई। इस सभा में उन्होंने कहा,




> “21 जुलाई को तृणमूल का मंच रहता है, लेकिन हम दिखा रहे हैं कि उसका एक विकल्प भी हो सकता है। वहाँ 13 शहीदों को याद किया गया, यहाँ हमने 250 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि दी। यही हमारा चौंक है।”

राजनीतिक कटाक्ष और सवाल:
सभा में दिलीप घोष ने अपने आलोचकों और अफवाहों पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा,
> “जो लोग मुझे तृणमूल में भेज रहे थे, अब क्या वो गंगा में कूद जाएंगे या फंदा लगाएंगे?”
यह बयान उनके खिलाफ फैल रही उन अफवाहों पर था जिसमें कहा जा रहा था कि वह तृणमूल में शामिल हो सकते हैं।
हिन्तू सांस्कृतिक मुद्दों पर भी साधा निशाना-
दिलीप घोष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि
> “जगन्नाथ मंदिर बनाने से कोई हिंदू नहीं हो जाता। जिनके दिल में राम नहीं, जिनकी नीयत में हिंदुत्व नहीं, वो नारियल फोड़ कर कुछ नहीं बदल सकते।”
उन्होंने ममता बनर्जी के पिछले वर्षों में रथयात्रा के समय नारियल फोड़ने की घटना को याद दिलाकर तंज कसा।
नयापन क्या था?
इस सभा में लगभग 100 से अधिक परिवारों ने भाजपा में शामिल होने की घोषणा की। भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं के लिए यह एक मनोबल बढ़ाने वाला क्षण था। हालाँकि दिलीप घोष द्वारा पूर्व में किए गए वादे – “21 जुलाई को चौंक आएगा” – के मुकाबले यह चौंक किसी बड़े घटनाक्रम के रूप में नहीं देखा गया।
राजनीतिक विश्लेषण-
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, दिलीप घोष की यह सभा कई संकेत छोड़ गई। एक तरफ उन्होंने तृणमूल के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाया, दूसरी ओर पार्टी के भीतर अपनी उपस्थिति और समर्थन भी मजबूत किया। यह सभा किसी बड़े ऐलान की जगह भाजपा के अंदर उनकी फिर से बढ़ती पकड़ का संकेत हो सकती है।
निष्कर्ष:
21 जुलाई को खड़गपुर की सभा में दिलीप घोष का ‘चौंक’ किसी बम की तरह नहीं फटा, जैसा कि अफवाहों में प्रचारित किया गया था, लेकिन यह जरूर साफ हो गया कि भाजपा में उनका प्रभाव अभी भी बरकरार है। 2026 विधानसभा चुनावों से पहले वे अपनी राजनीतिक जमीन और जनसमर्थन को फिर से मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
मुख्य बिंदु:
विषय विवरण-
आयोजन स्थल गिरी मैदान, खड़गपुर
प्रमुख वक्ता दिलीप घोष, भाजपा नेता
क्या हुआ भाजपा की शहीद स्मरण सभा, 100+ परिवारों की भाजपा में एंट्री
चौंक क्या था तृणमूल के समानांतर बड़ी सभा और राजनीतिक कटाक्ष
भविष्य का संकेत भाजपा में दिलीप घोष की पुनः सक्रिय भूमिका का संकेत
यह लेख मौलिक रूप से लिखा गया है और किसी एक स्रोत की नकल नहीं है, बल्कि कई तथ्यों को मिलाकर स्वतंत्र शैली में प्रस्तुत किया गया है।
