December 5, 2025

ममता बनर्जी ने शुरू किया “भाषा आंदोलन”, बीजेपी शासित राज्यों में बंगालियों के खिलाफ “भाषाई आतंकवाद” का आरोप

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को बीरभूम से एक नया राजनीतिक अभियान शुरू किया — “भाषा आंदोलन” (Bhasha Andolon)। उन्होंने बीजेपी‑शासित राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासियों पर हो रहे कथित उत्पीड़न को “भाषाई आतंकवाद” (Linguistic Terrorism) करार देते हुए कहा कि बंगाली भाषा और संस्कृति के सम्मान की रक्षा के लिए यह आंदोलन जारी रहेगा।

🔥 दिल्ली पुलिस पर हमला करने का आरोप, वीडियो साझा किया

ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें मालदा जिले के प्रवासी परिवार की एक महिला और बच्चे पर दिल्ली पुलिस के हमले का आरोप है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा, “एक छोटे बच्चे को भी भाषा के नाम पर आतंक से नहीं बख्शा जा रहा। यह अस्वीकार्य है।”

ममता ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह “कानूनी नागरिकों के अधिकार छीनने और उन्हें डराने‑धमकाने” की कोशिश कर रही है।

🚩 बीरभूम से “भाषा आंदोलन” की शुरुआत:

आंदोलन की शुरुआत बोलपुर (बीरभूम) से हुई — रवींद्रनाथ टैगोर की धरती से।

ममता बनर्जी ने एक रैली का नेतृत्व किया, जिसमें संगीत, शंखध्वनि और ‘बंगालियत’ का नारा गूंजा।

ममता ने सभा में कहा,

> “मैं जिंदा रहूंगी, लेकिन कोई मेरी भाषा नहीं छीन सकता।

हम अपनी मातृभाषा और अस्मिता को भूलने नहीं देंगे।”

🪧 टीएमसी की पहल और प्रतिक्रिया:

टीएमसी ने राज्यभर में हेल्पलाइन नंबर और टास्क फोर्स शुरू किए हैं ताकि मुसीबत में फंसे प्रवासी बंगालियों को तुरंत मदद मिल सके।

टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, “बीजेपी जानबूझकर विभाजन की राजनीति कर रही है और वैध दस्तावेज दिखाने के बाद भी बंगालियों को परेशान किया जा रहा है।”

पार्टी का दावा है कि देशभर में 22 लाख से ज्यादा बंगाली भाषी प्रवासी हैं, लेकिन कई राज्यों में उन्हें “भाषाई भेदभाव” झेलना पड़ रहा है।

🔜 आगे की योजना:

तृणमूल कांग्रेस 8 से 21 अगस्त तक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी में है, जिसमें बंगाली नागरिकों के खिलाफ कथित उत्पीड़न पर चर्चा होगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह “भाषा आंदोलन” अब राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दा बन चुका है, जो आगामी चुनावों में बड़ा असर डाल सकता है।

🧭 निष्कर्ष:

ममता बनर्जी का “भाषा आंदोलन” केवल एक विरोध प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह बंगाली भाषा और संस्कृति की इज्जत बचाने की लड़ाई का प्रतीक बन गया है।

दिल्ली और अन्य राज्यों में कथित हमलों के खिलाफ उन्होंने साफ कर दिया है कि बंगाल की अस्मिता और मातृभाषा की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रहेगा।

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