सुप्रीम कोर्ट का कोलकाता हाईकोर्ट की राय पर स्थगनादेश OBC issues






28 जुलाई 2025: पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट का वह आदेश स्थगित कर दिया, जिसने राज्य की नई अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची पर रोक लगा दी थी।




चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली तीन‑सदस्यीय बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश “prima facie erroneous” (प्रथम दृष्टया त्रुटिपूर्ण) प्रतीत होता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी और तब तक राज्य सरकार की नई OBC सूची लागू रहेगी।

🔹 मामला क्या है?
मई 2024 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की 2010 के बाद जोड़ी गई 77 समुदायों की OBC मान्यता रद्द कर दी थी। आरोप था कि यह सूची धार्मिक आधार पर तैयार की गई थी।
इस फैसले के बाद लगभग 12 लाख OBC प्रमाणपत्र निरस्त हो गए और आरक्षण दर घटकर 17% से 7% रह गई।
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और एक नई समाज‑आर्थिक सर्वेक्षण कराकर 140 समुदायों को शामिल करते हुए नई OBC सूची बनाई। इसमें 80 मुस्लिम और 60 गैर‑मुस्लिम समूह शामिल किए गए।
जून 2025 में सरकार ने फिर से 17% OBC आरक्षण (OBC‑A: 7%, OBC‑B: 10%) लागू करने का निर्णय लिया।
🔹 हाईकोर्ट की आपत्ति और स्टे ऑर्डर:
जून 2025 में हाईकोर्ट ने नई सूची पर रोक लगाते हुए कहा कि यह जल्दी‑बाजी में और पर्याप्त आधार के बिना तैयार की गई। गज़ट अधिसूचना को भी रोका गया और स्टे आदेश 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया।
🔹 सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई:
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दायर की।
अदालत ने माना कि OBC सूची तय करना कार्यपालिका (Executive) का अधिकार है, बशर्ते वह सर्वेक्षण और ठोस डेटा पर आधारित हो।
बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश को अस्थायी रूप से निरस्त कर कहा कि 4 अगस्त को फिर सुनवाई होगी, और उसके बाद आगे की दिशा तय की जाएगी।
✍️ निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ममता बनर्जी सरकार को राहत मिली है और नई OBC सूची फिलहाल लागू हो गई है। हालांकि, अंतिम फैसला आने तक राज्य में OBC आरक्षण को लेकर कानूनी और राजनीतिक बहस जारी रहने की संभावना है।
🔖 अगली सुनवाई: 4 अगस्त 2025
🔖 प्रभाव: सरकारी नियुक्तियों और कॉलेज‑भर्ती में नई OBC सूची का इस्तेमाल जारी रहेगा।
