शिक्षक भर्ती घोटाला: चंद्रनाथ सिन्हा के खिलाफ ED दर्ज करती चार्जशीट






८ अगस्त २०२५ — पश्चिम बंगाल के कारा, लघु और कुटीर उद्योग मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) ने स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति घोटाले से जुड़ी एक गहन जांच के बाद चार्जशीट दाखिल कर दी है। यह चार्जशीट विशेष PMLA (Money Laundering) कोर्ट में पेश की गई।




ED की जांच के दौरान यह तथ्य सामने आए हैं कि मंत्री सिंहा के दो बैंक खातों में २०१६ से २०२१ के बीच मोटी राशि—कुल ₹१.५ करोड़— की संदिग्ध जमा हुई है। इन लेनदेन को फिक्टिव अथवा अवैध बताया गया है, जिसका साफ-साफ स्पष्टीकरण मंत्री नहीं दे पाए।

इससे पहले मार्च २०२४ में ED ने मंत्री के बॉलपुर स्थित आवास पर छापा मारते हुए ₹४१ लाख नकद और एक मोबाइल फोन जब्त किया था। जांचकर्ताओं का कहना है कि ये मामले की गंभीरता को दर्शाते हैं, क्योंकि मंत्री उस वक्त भी पैसे की व्याख्या नहीं कर पाए थे।
चार्जशीट में जिन अन्य आरोपितों का नाम है, उनमें पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चट्टोपाध्याय समेत कुल ५५ आरोपी शामिल हैं, जिनके विरुद्ध इसी शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में कार्रवाई चल रही है।
इस चार्जशीट दाखिल करने से पहले, बुधवार को राज्यपाल C. V. आनंद बोस ने इस मामले में ED द्वारा प्रदान किए गए दस्तावेजों की समीक्षा की थी और चंद्रनाथ सिन्हा के विरुद्ध अभियोजन का आधिकारिक अनुमति (सैंक्शन) प्रदान की थी।
सूत्रों के अनुसार, इस मामले में ED की छान-बीन का आरंभ तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता कुत्तल घोष की हस्तलिखित डायरी से हुआ था, जहाँ मंत्री सिन्हा का नाम उल्लिखित था। इस आधार पर एजेंसी ने आगे की जांच और दस्तावेज़ जुटाए।
मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा है, “मैंने सुना है कि चार्जशीट दाखिल हुई है; विषय की मुझे पूरी जानकारी नहीं है, आगे पता कर स्थिति स्पष्ट करेंगे।”
इस मामले की व्यापक पृष्ठभूमि और असर-
1. घोटाले की जड़ें गहरी:
जब स्कूलों में नियुक्ति प्रक्रिया में निरपेक्षता खो जाती है और राजनीतिक हस्तक्षेप भुगतान-आधारित चयन में बदल जाता है, तब यह शिक्षा तंत्र के विश्वास को धक्का है। यह मामला उस साजिश का केंद्रबिंदु बन गया जिसकी जड़ें व्यापक और व्यवस्थित रूप से फैली हुई हैं।
2. प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल:
एक संवैधानिक पदाधिकारी, राज्य का मंत्री, जब कथित रुप से भर्ती में भ्रष्टाचार करता है, तो यह न केवल राजनीतिक प्रणाली, बल्कि शासन की नैतिकता पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
3. भविष्य की कार्रवाई:
इस चार्जशीट के साथ न्यायिक प्रक्रिया अब आगे बढ़ेगी—सुनवाई, सबूतों का परीक्षण तथा आरोप सिद्धि तक के चरण। यदि दोष साबित हुआ, तो मंत्री को कानूनी कार्रवाई और पद से हटाया जाना सुनिश्चित होगा।
ये घटना पश्चिम बंगाल में शिक्षा व्यवस्था में चल रहे भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठे जनसंकल्प की अभिव्यक्ति भी है। बाकी भी नेताओं और सार्वजनिक संस्थाओं को यह बतने का समय है कि जवाबदेही और पारदर्शिता ही शासन का आधार है।
यदि आप चाहें, तो मैं इसपर प्रतिक्रिया, राजनीतिक विश्लेषण या न्यायिक प्रक्रिया पूरी होते ही उसका अपडेट भी लिख सकता हूँ।
