आईआईटी खड़गपुर जाने वाले छात्र अरुण पाटिल के लापता होने पर कई सवाल
खड़गपुर : महाराष्ट्र के जलगाँव जिले के रहने वाले 19 वर्षीय अरुण पाटिल का सपना था इंजीनियर बनने का। उसी सपने को पूरा करने के लिए वे 20 अगस्त को मुंबई-शालीमार एक्सप्रेस से अपने पिता के साथ खड़गपुर की ओर निकले थे। उद्देश्य—आईआईटी खड़गपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लेना। लेकिन झारखंड के चाकुलिया स्टेशन के पास अचानक वे लापता हो गए। इसके बाद से ही आरोप, आशंका और तरह-तरह की चर्चाएँ शुरू हो गईं।
❶ अपहरण की आशंका
अरुण के पिता रवींद्र कुमार पाटिल और माँ ममता पाटिल का कहना है कि उनका बेटा यूँ ही अचानक ट्रेन से उतर नहीं सकता। परिवार का आरोप है कि अरुण का अपहरण किया गया है। इस मामले मे खड़गपुर जीआरपी थानों में शिकायत दर्ज कराई गई है।
❷ फर्जी मेल का मामला
जाँच में आईआईटी खड़गपुर प्रशासन ने स्पष्ट किया कि अरुण के नाम से किसी भी तरह का एडमिशन प्रोसेस पूरा नहीं हुआ है और न ही उनके नाम पर कोई ई-मेल भेजा गया था। यानी परिवार को जिस मेल के आधार पर लगा कि अरुण का एडमिशन हो गया है, वह पूरी तरह से फर्जी था। इससे साफ है कि इस मामले में कोई ठगी का गिरोह भी सक्रिय हो सकता है।
❸ पारिवारिक दबाव और मानसिक तनाव
दूसरी ओर, सूत्रों के मुताबिक अरुण पर परिवार की ओर से अच्छे रैंक लाने का बहुत दबाव था। रिश्तेदारों और समाज की उम्मीदें भी उनके ऊपर बोझ बढ़ा रही थीं। जाँच कर रहे अधिकारियों का अनुमान है कि शायद माता-पिता को खुश करने के लिए अरुण ने एडमिशन का झूठा मेल दिखाया था। लेकिन खड़गपुर पहुँचने पर सच सामने आ जाएगा, यह समझकर शायद उन्होंने खुद ही लापता होने का फैसला लिया।
❖ जाँच की स्थिति
फिलहाल रेल पुलिस और साइबर टीम दोनों दिशाओं में जाँच कर रही है। एक ओर अपहरण की संभावना की पड़ताल हो रही है, तो दूसरी ओर यह भी देखा जा रहा है कि फर्जी मेल किसने भेजा और अरुण सचमुच खुद गायब हुए हैं या नहीं।
❖ खुले सवाल
यह घटना कई सवाल खड़े कर रही है—
क्या अरुण किसी ठगी गिरोह का शिकार हुए?
या पारिवारिक दबाव झेल न पाने के कारण उन्होंने खुद ही गुमनाम रास्ता चुना?
फर्जी मेल के पीछे कौन है?
इन सबका जवाब ढूँढ रही है पुलिस, लेकिन अब तक अरुण पाटिल का कोई पता नहीं चला है। उनका परिवार चिंता और बेचैनी में दिन गुजार रहा है।