December 5, 2025

दासपुर में श्मशान डूबा, कमर-भर पानी पार कर अंतिम संस्कार में परिवार की जद्दोजहद

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दासपुर 1, पश्चिम मेदिनीपुर | 19 अगस्त 2025

“मरकर भी शांति नहीं”—ऐसा ही दर्दनाक दृश्य देखने को मिला पश्चिम मेदिनीपुर के दासपुर में। पिछले दो महीनों से बाढ़ग्रस्त घाटाल-दासपुर-चंद्रकोणा क्षेत्र के लोग अब तक जल-यंत्रणा से मुक्त नहीं हो पाए हैं। गांव की सड़कें, घरों के साथ-साथ कई श्मशान भी पानी में डूबे हुए हैं। नतीजा, अंतिम संस्कार के समय परिवारों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

सोमवार को दासपुर 1 नंबर ब्लॉक के एक गांव में वृद्ध की मृत्यु के बाद जब परिवारजन अंतिम संस्कार के लिए श्मशान की ओर बढ़े, तो देखा गया कि पूरा इलाका पानी से लबालब है। मजबूरी में कमर-भर पानी पार करते हुए बड़ी कठिनाई से शव को ऊँचे स्थान तक ले जाया गया और वहीं अंतिम संस्कार किया गया। सामान्य परिस्थितियों में श्मशान में अंतिम संस्कार की जो परंपरा है, इस साल लगभग पूरी तरह ठप हो गई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि 18 जून से शुरू हुई बाढ़ की विभीषिका अब तक बनी हुई है। एक ओर फसलें नष्ट, घर डूबे—दूसरी ओर प्रियजनों की मृत्यु के बाद भी उन्हें सम्मानजनक अंतिम संस्कार देना कठिन हो रहा है। श्मशान डूबे रहने की वजह से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश भी है।

कई लोगों ने प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग की है। उनका कहना है कि हर बरसात में यही तस्वीर सामने आती है। लेकिन यदि स्थायी बांध या वैकल्पिक श्मशान नहीं बनाया गया तो आने वाले दिनों में भी लोगों को ऐसी ही समस्या झेलनी पड़ेगी।

स्थानीय समाजसेवियों और ग्रामीणों का मत है कि प्रशासन को चाहिए कि अस्थायी नाव या ऊँचे स्थान पर वैकल्पिक अंतिम संस्कार स्थल बनाया जाए, ताकि कम से कम अंतिम यात्रा में परिजनों को ऐसी यातना न झेलनी पड़े।

विशेषज्ञों का मानना है कि घाटाल-दासपुर-चंद्रकोणा क्षेत्र में लंबे समय तक जलभराव की असली वजह नदी में गाद जमना और जल निकासी की कमी है। इसका स्थायी हल किए बिना हर साल यही दृश्य दोहराया जाएगा।

गांव के लोगों का कहना है—

“जीवन में शांति नहीं, अब तो मृत्यु के बाद भी शांति नहीं। यह पीड़ा आखिर कब खत्म होगी?”

 

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