December 5, 2025

भारत का हरित मोबिलिटी क्रांति: बिजली से चलने वाली वाहनों की ओर तेज़ रफ्तार

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भारत में हरित मोबिलिटी (Green Mobility) अब सिर्फ सपना नहीं, बल्कि तेज़ी से साकार हो रही है। सरकार की योजनाओं और नीतिगत समर्थन से देश इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्रांति की राह पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के हंसलपुर प्लांट में Suzuki की पहली वैश्विक रणनीतिक बैटरी-इलेक्ट्रिक वाहन (BEV), ‘e-VITARA’ का उद्घाटन किया। इस मॉडल को 100 से अधिक देशों में निर्यात करने की तैयारी है, जिससे भारत “Make in India, Make for the World” की दिशा में मजबूत साबित हो रहा है ।

साथ ही, प्रधानमंत्री ने Toshiba-Denso-Suzuki की संयुक्त उद्यम TDS Lithium-Ion बैटरी प्लांट में स्थानीय हाइब्रिड बैटरी इलेक्ट्रोड्स के उत्पादन की शुरुआत की। इस उद्यम में 80 प्रतिशत से अधिक बैटरी मूल्य निर्माण भारत में होने की बात उल्लेखनीय है ।

तेज़ी से बढ़ रहा इलेक्ट्रिक वाहन का बाजार-

फरवरी 2025 तक, भारत में कुल 56.75 लाख इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं, जो कि देश में स्वच्छ परिवहन की ओर बढ़ते कदमों का संकेत है ।

वित्तीय वर्ष 2024-25 में, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री 11.49 लाख रही — यह पिछले वर्ष के 9.48 लाख से लगभग 21% अधिक है ।

प्रमुख सरकारी योजनाएं और उनकी उपलब्धियाँ-

FAME-I (2015–2019) ने EV अपनाने और चार्जिंग ढाँचे को बढ़ावा देने की नींव रखी — इसमें 520 चार्जिंग स्टेशनों को ₹43 करोड़ की मंजूरी मिली और लगभग 2.55 लाख EVs समर्थित हुए ।

FAME-II (अप्रैल 2019 से) में ₹11,500 करोड़ के बजट से EV अपनाने, e-bus नेटवर्क और चार्जिंग संरचना में विस्तार हुआ। जून 2025 तक 16.29 लाख EVs (e-2W, e-3W, e-4W, e-बस) इस योजना के तहत लाभान्वित हुए । इन योजनाओं के तहत जनता को विभिन्न रूप से पर्याप्त मात्रा में लाभ मिला।

तथा, PLI-Auto योजना के अंतर्गत (सितंबर 2021 से) ₹25,938 करोड़ की सहायता से अब तक ₹29,576 करोड़ का निवेश आकर्षित हुआ और 44,987 नौकरियाँ सृजित हुईं ।

ACC बैटरी स्टोरेज PLI योजना (2021 से) से 50 GWh ACC बैटरी निर्माण में ₹18,100 करोड़ तक का निवेश लक्ष्य रखा गया। फरवरी 2025 तक 40 GWh परियोजनाएँ मंजूर हो चुकी हैं, जिनमें घरेलू मूल्य-सृजन (DVA) का लक्ष्य रखा गया है ।

PM-E-Drive (सितंबर 2024 से मार्च 2028 तक) एक ₹10,900 करोड़ का कार्यक्रम है, जिसमें EV अपनाने को बढ़ावा देने और प्रदूषण को कम करने हेतु सब्सिडी दी जा रही है। जुलाई 2025 तक 24.79 लाख e-two-wheelers, 3.15 लाख e-three-wheelers, 5,643 e-trucks, e-ambulances और 14,028 e-buses लाभान्वित हो चुके हैं ।

SPMEPCI (मार्च 2024 में अधिसूचित) के अंतर्गत आवेदन पोर्टल 24 जून से खुला है और 21 अक्टूबर 2025 तक खुलेगा। स्कीम 25% से 50% DVA की आवश्यकता के साथ ₹4,150 करोड़ निवेश की शर्त रखती है ।

PM-eBus Sewa (अगस्त 2023 से) योजना से ₹20,000 करोड़ की सहायता से 10,000 इलेक्ट्रिक बसें PPP मॉडल के माध्यम से चालू की जानी हैं। अगस्त 2025 तक 7,293 e-bus स्वीकृत हो चुकी हैं ।

PM-eBus Sewa-PSM योजना (अक्टूबर 2024 से) ₹3,435.33 करोड़ के साथ PTAs द्वारा भुगतान में देरी से बचाने हेतु 38,000 e-bus तक ऑपरेटरों को सुरक्षा देती है ।

IEMI (India Electric Mobility Index) को अगस्त 2025 में NITI Aayog ने जारी किया। इसमें दिल्ली, महाराष्ट्र और चंडीगढ़ “Frontrunners” के रूप में शीर्ष पर हैं ।

लक्ष्य और कहानी का सारांश:

भारत का लक्ष्य 2030 तक 30% EV पेनिट्रेशन हासिल करना है, जो EV30@30 ग्लोबल पहल से मेल खाता है ।

फरवरी 2025 तक, 56.75 लाख EVs पंजीकृत— कुल 389.77 मिलियन वाहनों में से ।

2030 तक, भारत 1 बिलियन टन कार्बन उत्सर्जन में कटौती तथा कार्बन तीव्रता को 45% से नीचे लाने का लक्ष्य रखता है; और 2070 तक नेट-ज़ीरो राष्ट्र बनने का संकल्प है ।

निष्कर्ष:

हरित मोबिलिटी के क्षेत्र में भारत अब पीछे नहीं देख रहा—बल्कि भविष्य की ओर एक प्राथमिकता के रूप में अग्रसर है। योजनाओं का बहुआयामी नेटवर्क, विनिर्माण में आत्मनिर्भरता, और वैश्विक बाजार में भारतीय EVs की पहुंच बताती है कि प्रदूषित हवा को छोड़, भारत अब मौलिकता, नवोन्मेष और हरित ऊर्जा के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।

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