“पालना” में मिला नवजात शिशु






एक चौंकाने वाली घटना उस समय सामने आई, जब जिला प्रशासन द्वारा स्थापित “पालना” नामक नवजात स्वागत प्रणाली से अचानक सायरन की आवाज़ गूँजी। रात के समय यह अलार्म बजने पर जब होम के अधिकारी घटनास्थल पर पहुँचे, तो वहां एक नवजात शिशु बेसुध अवस्था में देखा गया।




शिशु को तुरंत मेदिनापुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे प्राथमिक उपचार दिया गया और फिलहाल उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। प्रसार संभवनुसार, उस रात करीब 1 बजे यह घटना हुई। अधिकारी अनुमान लगा रहे हैं कि किसी ने गुपचुप तरीके से इस नवजात को पालना में छोड़ दिया होगा।

“पालना” क्या है?
“पालना” ( “दोलना”) एक सुरक्षात्मक व्यवस्था है, जिसे बेनाम या असमर्थ परिवारों द्वारा छोड़े गए नवजातों की सुरक्षा और देखभाल के लिए बनाया गया है। इस व्यवस्था के अंतर्गत:
एक लोहे से बना बंद कोष्ठक है, जिसमें नवजात को रखा जा सकता है।
प्लेटफॉर्म या कोष्ठक में सेंसर लगे होते हैं, जो शिशु को रखे जाने पर अलार्म बजाते हैं या सूचना प्राधिकरणों को भेजते हैं।
इस तरह की प्रणालियाँ जिले के चार प्रमुख अस्पतालों — मेदिनापुर मेडिकल, खड़गपुर सब डिवीजन अस्पताल, घाटाल सब डिवीजन अस्पताल और चंद्रकोना ग्रामीण अस्पताल — तथा सरकारी होम के सामने स्थापित की गई हैं।
यह प्रणाली लगभग दो साल पहले, 28 सितंबर 2023 को, जिला प्रशासन की पहल पर शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य उन माता-पिताओं या परिवारों को विकल्प देना है, जो समय या संसाधनों की कमी की वजह से अपने नवजात को सुरक्षित रखना न चाहे या न कर सकें।
राजस्व अधिकारियों और बाल सुरक्षा विभाग की भूमिका:
डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर (DCPo) संदीप कुमार दास ने बताया कि इस प्रकार मिलने वाले नवजातों पर दत्तक ग्रहण (adoption) की प्रक्रिया भी हो सकती है, बशर्ते सभी कानूनी प्रावधान पूरे हों। वर्तमान शिशु को मातृ–शिशु विभाग (पीडियाट्रिक विभाग) में इलाज के लिए रखा गया है।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वह व्यक्ति या लोग कौन हैं, जिन्होंने नवजात को इस व्यवस्था में छोड़ा। इस घटना की त्वरित जाँच प्रारंभ कर दी गई है।
