बंगाल विधानसभा का विशेष सत्र: अन्य राज्यों में बंगाली प्रवासियों पर कथित हमलों पर चर्चा तेज






पश्चिम बंगाल विधानसभा का विशेष तीन-दिवसीय सत्र सोमवार से शुरू हो गया, जिसमें भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों के साथ कथित भेदभाव और हमलों के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा के लिए प्रस्ताव स्वीकार किया गया। प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने पेश किया, जबकि स्पीकर बिमान बंद्योपाध्याय ने इसे “गंभीर चिंता” का विषय बताया। चर्चा मंगलवार (2 सितंबर) और गुरुवार (4 सितंबर) को होगी; बुधवार (3 सितंबर) ‘करम पूजा’ के अवकाश के कारण बैठक नहीं होगी।




प्रस्ताव में कहा गया है कि बंगला विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है और भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है, इसके बावजूद कई जगह बंगाली भाषियों को भाषा के आधार पर अपमान, हिरासत और शारीरिक हमलों का सामना करना पड़ रहा है। प्रस्ताव में विशेष रूप से यह चिंता जताई गई कि कुछ प्रवासी श्रमिकों को “बांग्लादेशी” बताकर कलंकित किया जा रहा है।

सत्र के दौरान राज्य सरकार निर्वाचक सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) को लेकर केंद्र और निर्वाचन आयोग से टकराव के मुद्दे पर भी प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। विश्लेषकों के अनुसार, 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले यह राजनीतिक रूप से अहम बहस बन सकती है।
उधर, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि विधानसभा परिसर के भीतर सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों की अनुमति सिर्फ मुख्यमंत्री के सुरक्षा दस्ते तक सीमित रहेगी। यह व्यवस्था इसी विशेष सत्र के बीच लागू की गई है, जब सदन में प्रवासी बंगालियों के साथ कथित अत्याचारों पर प्रस्ताव पर बहस प्रस्तावित है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल के दिनों में “बंगाली अस्मिता” और भाषा-सम्मान की रक्षा पर कड़ा रुख दोहराया है। उन्होंने 26 अगस्त को कहा था कि बंगाली भाषा या मातृभूमि के अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा—इसी पृष्ठभूमि में विधानसभा का मौजूदा सत्र बुलाया गया है।
आगे क्या?
मंगलवार और गुरुवार को विषय पर दो-दो घंटे की चर्चा होगी; सत्र गुरुवार को समाप्त होगा।
विपक्ष की प्रतिक्रियाएँ और सरकार के संभावित ठोस कदम (जैसे निंदा प्रस्ताव/संकल्प) बहस के दौरान स्पष्ट होंगे।
