चक्रवात ‘मंथा’ का खतरा: किसान चिंतित, कच्ची फसलों पर मंडराया संकट






पश्चिम बंगाल के तीन जिलों – पूर्वी मेदिनीपुर, पश्चिम मेদিনীपुर और झाड़ग्राम – के किसान एक आने वाले चक्रवाती तूफान ‘मंथा’ की आशंका से गहरे संकट में हैं। चिंता का मुख्य कारण खेतों में खड़ी धान की फसल है, जो अभी पूरी तरह से पकी नहीं है। फसलों के नष्ट होनेसे से खाने पीनेकी चीजें महंगी हो सकतीहै।





बुधवार को भी खड़गपुर सहित पूरे जिले में रुक रुक कर दिन भर वर्षा जारी रही।

इस साल की शुरुआत में हुई भारी बारिश और बाढ़ के कारण इन क्षेत्रों में खेती पहले ही बुरी तरह प्रभावित हुई थी। कई किसानों को धान की रोपाई देर से करनी पड़ी। बाढ़ के पानी ने बड़े पैमाने पर फसलों, सब्जियों और यहाँ तक कि फूलों को भी नष्ट कर दिया था, जिससे किसान, विशेषकर महाजनों से ऋण लेकर खेती करने वाले, भारी वित्तीय दबाव में आ गए थे।

देर से बुवाई के कारण, अधिकांश धान की फसल अभी भी कच्ची है। हाल के दिनों में खिले मौसम ने एक अच्छी फसल की उम्मीद जगाई थी, लेकिन अब इस नए चक्रवाती तूफान के खतरे ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
किसानों को डर है कि तेज हवाएं और भारी बारिश उनकी बची-खुची कच्ची फसल को भी बर्बाद कर देंगी। यह आपदा न केवल धान की फसल को प्रभावित करेगी, बल्कि दासपुर और क्षीरपाई जैसे इलाकों में आलू जैसी आगामी रबी फसलों की बुवाई पर भी इसका बुरा असर पड़ने की आशंका है।

प्रशासन ने जारी किया अलर्ट
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, जिला प्रशासन और कृषि विभाग पूरी तरह से सतर्क हो गए हैं। अधिकारियों ने किसानों को कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं:
- किसानों को सलाह दी गई है कि जो भी धान की फसल 80% या उससे अधिक पक चुकी है, उसे तुरंत काटकर सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जाए।
- खेतों में जल-जमाव को रोकने के लिए पंप तैयार रखने और पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है।
- किसानों को आश्वासन दिया गया है कि उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।
- सभी ब्लॉकों में 24 घंटे चलने वाले नियंत्रण कक्ष (कंट्रोल रूम) स्थापित किए गए हैं और राहत सामग्री, जैसे चावल और तिरपाल, को तैयार रखा गया है।
- आपदा प्रबंधन टीमों को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
