पश्चिम मेदिनीपुर में 500 करोड़ के सरकारी प्रोजेक्ट ठप! आसमान छूते रेत के दाम बने वजह






पश्चिम मेदिनीपुर जिले में करीब 500 करोड़ रुपये के कई सरकारी विकास कार्य ठप हो गए हैं। इसका मुख्य कारण रेत (बालू) के आसमान छूते दाम बताए जा रहे हैं, जिसने ठेकेदारों और आम जनता की परेशानी बढ़ा दी है।




📉 अचानक क्यों बढ़ी रेत की कीमत?
- मूल्य में जबरदस्त उछाल: जो रेत पहले 100 क्यूबिक फीट (सीएफटी) के लिए करीब 3,600 से 4,000 रुपये में मिलती थी, अब उसकी कीमत बढ़कर सात से आठ हजार रुपये हो गई है। यह लगभग दोगुना उछाल है।
- नदी से रेत निकासी पर रोक: प्रशासन ने पर्यावरण नियमों का पालन करते हुए 13 जुलाई से नदी से रेत निकालने पर रोक लगा दी थी, क्योंकि नदियों में जल स्तर अधिक था।
- स्टॉक में कमी और ईडी की कार्रवाई: आमतौर पर, संकट से निपटने के लिए रेत को ‘स्टॉक यार्ड’ में जमा किया जाता है, लेकिन इसकी कमी हो गई। इसके अलावा, हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी ने रेत व्यापारियों को प्रभावित किया, जिससे आपूर्ति श्रृंखला टूट गई।
🚧 विकास कार्यों पर गहरा असर
पश्चिम मेदिनीपुर जिला परिषद, WBSDA और अन्य विभागों द्वारा आवंटित सड़क, नाली, पुल और आवास योजना जैसे लगभग 500 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पर काम रुक गया है।

- ठेकेदारों की मुश्किल: ठेकेदारों के संगठन का कहना है कि सरकारी प्रोजेक्ट के शेड्यूल में 100 सीएफटी रेत का मूल्य केवल 1,800 रुपये निर्धारित है। ऐसे में, सात-आठ हजार रुपये में रेत खरीदकर काम पूरा करना भारी नुकसान का सौदा है।
- अन्य सामग्री भी महंगी: केवल रेत ही नहीं, मूरम (moorum) और मिट्टी के दाम भी बढ़ गए हैं। शेड्यूल में 100 सीएफटी मूरम की कीमत 900 रुपये है, जबकि उसे तीन से चार हजार रुपये में खरीदना पड़ रहा है।
- काम रोकने का फैसला: ठेकेदार वेलफेयर एसोसिएशन ने साफ कर दिया है कि नुकसान से बचने के लिए उन्हें मजबूरन सभी काम रोकने पड़े हैं।
रेत के दामों में इस अप्रत्याशित वृद्धि ने न सिर्फ सरकारी परियोजनाओं को रोका है, बल्कि आम लोगों के घर बनाने के सपनों पर भी विराम लगा दिया है। प्रशासन और व्यापारियों के बीच गतिरोध खत्म होने तक, पश्चिम मेदिनीपुर का विकास कार्य अधर में लटका रहेगा।
