भाजपा कार्यकर्ता की हत्या का मामला दूसरे राज्य में शिफ्ट करने की तैयारी, सुप्रीम कोर्ट में अर्जी






पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में 2021 के चुनाव बाद हुई हिंसा (Post-Poll Violence) और एक भाजपा कार्यकर्ता की हत्या का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने इस मामले की सुनवाई को पश्चिम बंगाल के हल्दिया कोर्ट से झारखंड के धनबाद कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन किया है। इसके साथ ही हल्दिया कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने (Stay Order) की भी मांग की गई है।




क्या है पूरा मामला?

यह मामला 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद नंदीग्राम में हुई हिंसा से जुड़ा है, जिसमें भाजपा कार्यकर्ता देवव्रत माइती की हत्या कर दी गई थी। मृतक के परिजनों ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) कार्यकर्ताओं पर पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप लगाया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी। जांच एजेंसी ने मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है, लेकिन अभी तक आरोप तय (Charge Framing) नहीं हो पाए हैं।
केस ट्रांसफर की मांग क्यों?
मृतक देवव्रत माइती की पत्नी ने आशंका जताई है कि यदि मामले की सुनवाई हल्दिया कोर्ट में चलती रही, तो आरोपी पक्ष गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इसी आधार पर उन्होंने मामले को पश्चिम बंगाल से बाहर शिफ्ट करने और मौजूदा सुनवाई पर रोक लगाने की अपील की थी। उनकी इस अपील के आधार पर ही सीबीआई ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
इस कदम के बाद नंदीग्राम में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं:
भाजपा का पक्ष: भाजपा के तमलुक संगठनात्मक जिले के महासचिव मेघनाद पाल ने कहा, “हल्दिया अदालत में सुनवाई होने पर टीएमसी नेता गवाहों को डरा-धमका सकते हैं। निष्पक्ष न्याय के लिए मामले को दूसरे राज्य में स्थानांतरित करना जरूरी है। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।”
टीएमसी का पलटवार: मामले में आरोपी टीएमसी नेता शेख सूफियान ने इसे भाजपा की साजिश बताया है। उन्होंने कहा, “चुनाव नजदीक आते ही भाजपा पुराने मामलों को हवा देने लगती है। यह सब एक राजनीतिक षड्यंत्र है और हम कानूनी लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
बचाव पक्ष की दलील
आरोपियों के वकील शेख मंसूर आलम ने सीबीआई की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इस केस के सभी गवाह नंदीग्राम के निवासी हैं और वे केवल बंगाली भाषा समझते हैं। यदि मामला झारखंड या किसी अन्य राज्य में ले जाया गया, तो भाषा की समस्या के कारण गवाहों को परेशानी होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई जानबूझकर मामले को लटकाना चाहती है।
वर्तमान स्थिति
इस मामले में सीबीआई ने नंदीग्राम के 22 टीएमसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था, जो फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं कि क्या वह इस मुकदमे को पश्चिम बंगाल से बाहर ले जाने की अनुमति देता है या नहीं।
