December 5, 2025

मतदाता सूची संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: चुनाव आयोग के कदम को बताया तार्किक

0
IMG_20250710_124911

बिहार में विशेष मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (EC) के फैसले का समर्थन किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को यह प्रक्रिया “कृत्रिम” या “जानबूझकर किया गया प्रयास” कहने से परहेज करने की सलाह दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस संशोधन के पीछे “तर्क और प्रक्रिया है” और नागरिकता तय करना चुनाव आयोग का नहीं, बल्कि गृह मंत्रालय का कार्यक्षेत्र है।

🧭 1. संशोधन की तार्किकता

EC के अनुसार, इस विशेष संशोधन का उद्देश्य है — जनसंख्या की बदलती प्रवृत्ति, नए मतदाता, मृत या स्थानांतरित मतदाता, और विदेशी नागरिकों की पहचान करना।

यह पूरी प्रक्रिया Representation of People Act, 1950 की धारा 21 और अनुच्छेद 324 के तहत की जा रही है।

🛡️ 2. सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग का यह कदम “नियमित और वैध” है और यह संविधान के तहत की जा रही एक वैधानिक प्रक्रिया है।

साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नागरिकता तय करने का अधिकार चुनाव आयोग के पास नहीं है, बल्कि यह गृह मंत्रालय (MHA) की जिम्मेदारी है।

🗣️ 3. राजनीतिक दलों की आपत्ति

विपक्षी दलों — कांग्रेस, राजद, एनसीपी, सीपीआई-एमएल, और तृणमूल कांग्रेस — ने इस प्रक्रिया को गरीब, प्रवासी, और अल्पसंख्यक वर्गों के लिए “भेदभावपूर्ण” बताया है।

विपक्ष का कहना है कि 30 दिनों के भीतर दस्तावेज जमा करने की बाध्यता लगभग 4 करोड़ मतदाताओं के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन सकती है।

इसके साथ ही मानसून के मौसम में यह प्रक्रिया लागू करना भी व्यावहारिक रूप से मुश्किल है।

🗓 प्रमुख तिथियाँ:

तिथि घटना

24 जून 2025 चुनाव आयोग ने SIR की घोषणा की।

6 जुलाई 2025 सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएँ दायर।

10 जुलाई 2025 सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई — EC को समर्थन मिला।

25 जुलाई 2025 दस्तावेज़ जमा करने की अंतिम तिथि।

1 अगस्त 2025 प्रारंभिक मतदाता सूची जारी होगी।

🔍 निष्कर्ष:

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के कदम को तार्किक और वैधानिक बताया है, और नागरिकता से जुड़े मामलों में दखल न देने की बात दोहराई है। हालांकि, इतने कम समय में व्यापक दस्तावेज जमा करने की मांग को लेकर जनता और विपक्ष में चिंता बनी हुई है।

राजनीतिक तौर पर यह मामला तूल पकड़ चुका है। INDIA गठबंधन द्वारा बिहार बंद का आह्वान किया गया है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को लेकर आंदोलन तेज किया है।

🔜 आगे की राह

सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय आने वाले दिनों में आ सकता है।

चुनाव आयोग 1 अगस्त को प्रारंभिक सूची जारी करेगा।

आपत्तियाँ और सुधार अगस्त–सितंबर में दर्ज की जा सकेंगी।

बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2025 में संभावित हैं।

यह विवाद यह तय करने में अहम होगा कि क्या चुनाव आयोग की प्रक्रिया पारदर्शी, समावेशी और संवैधानिक है, या फिर यह खास समुदायों को निशाना बना रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *