December 5, 2025

आईआईटी खड़गपुर में छात्रों की मानसिक स्थिति सुधारने की दिशा में बड़ा कदम, हर हॉस्टल विंग में बनेगा छात्र टास्क फोर्स

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आईआईटी खड़गपुर में हाल ही में एक छात्र की आत्महत्या की दुखद घटना के बाद, संस्थान प्रशासन ने छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी और सहयोग के लिए एक नई पहल की घोषणा की है। इस पहल के तहत अब हर हॉस्टल विंग में छात्रों का एक टास्क फोर्स गठित किया जाएगा, जिसका मुख्य कार्य होगा अपने साथियों के व्यवहार और मानसिक स्थिति पर नज़र रखना और ज़रूरत पड़ने पर प्रशासन को सूचित करना।

इस समय आईआईटी खड़गपुर में कुल 21 हॉस्टल हैं, जिनमें 16 पुरुष और 5 महिला हॉस्टल शामिल हैं। इन हॉस्टलों में कुल करीब 16,000 छात्र-छात्रा रहते हैं। हर हॉस्टल के “विंग” यानी कमरों के छोटे समूहों में छात्र स्वयंसेवकों की यह टास्क फोर्स काम करेगी।

आईआईटी के निदेशक प्रो. सुमन चक्रवर्ती ने बताया कि, “हमने महसूस किया है कि तकनीक आधारित निगरानी हमेशा पर्याप्त नहीं होती। छात्रों की मानसिक स्थिति को सबसे पहले उनके साथी छात्र ही समझ सकते हैं। इसीलिए यह मानवीय निगरानी प्रणाली ज़्यादा कारगर होगी।”

पूर्व में हॉस्टल में एक विंग प्रतिनिधि की व्यवस्था थी, लेकिन छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण वह प्रणाली प्रभावी नहीं हो पा रही थी। एक छात्र ने बताया, “एक विंग में अगर 50 से अधिक छात्र हों तो एक प्रतिनिधि के लिए सब पर नज़र रखना मुश्किल होता है।”

इस नई प्रणाली में विंग के हर 10 से 12 छात्रों पर एक टास्क फोर्स सदस्य होगा। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य, व्यवहार परिवर्तन और संवाद के तरीकों पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

विशेषज्ञों की टीम भी करेगी छात्रों से बातचीत

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार गठित विशेषज्ञ समिति भी अब छात्रों के साथ संवाद शुरू करेगी। इस टीम में मनोवैज्ञानिक, कानूनविद, पुलिस अधिकारी, वरिष्ठ शिक्षाविद और संस्थान के पुराने छात्र शामिल हैं। यह पैनल छात्रों की समस्याएं सीधे सुनकर प्रशासन को रिपोर्ट देगा।

यह टीम खासकर उन्हीं छात्रों से बात करेगी जो वर्तमान में नेतृत्वकारी भूमिकाओं में हैं, या पहले हॉस्टल प्रतिनिधि रहे हैं। बातचीत में यह जानने की कोशिश होगी कि क्या वे तनाव, अकेलापन या दबाव में हैं।

छात्रों के लिए अन्य प्रयास भी

आईआईटी खड़गपुर प्रशासन पहले ही कुछ और प्रयास शुरू कर चुका है:

AI आधारित टूल्स से छात्रों की मनोदशा पर नज़र रखने की योजना।

‘कैंपस मॉम’ नाम की पहल, जिसमें छात्राओं को सहयोग देने के लिए सीनियर छात्राओं को जोड़ा जाएगा।

गुप्त रूप से मानसिक स्वास्थ्य स्थिति बताने के लिए मोबाइल ऐप आधारित चेक-इन सिस्टम।

निष्कर्ष:

यह नई व्यवस्था उम्मीद जगाती है कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाई के दबाव के साथ-साथ छात्रों की मानसिक स्थिति पर भी गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा। छात्र-छात्राओं की सक्रिय भागीदारी और विशेषज्ञों की सलाह से यह पहल आत्महत्याओं और मानसिक तनाव को रोकने में मददगार हो सकती है।

आईआईटी खड़गपुर की यह मानवीय पहल देश के अन्य संस्थानों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है।

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