मृत गाय के दूध से बने प्रसाद को खाने के बाद फैला रेबीज का डर, वैक्सीन लगवाने के लिए लगी लंबी कतारें






पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले के डेबरा इलाके में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जहां एक मृत गाय के दूध से बने प्रसाद का सेवन करने के बाद ग्रामीणों में रेबीज (जलातंक) का डर फैल गया। इस डर के चलते सैकड़ों की संख्या में लोग अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों पर रेबीज का टीका लगवाने के लिए उमड़ पड़े।




क्या है पूरा मामला?

घटना डेबरा के पशंग गांव की है। मिली जानकारी के अनुसार, गांव के निवासी ऋषिकेश माइती के घर पर गुरुवार को रास पूर्णिमा के अवसर पर पूजा का आयोजन किया गया था। इस दौरान उनकी पालतू गाय के दूध और चिउड़ा (पोहा) का उपयोग करके प्रसाद तैयार किया गया, जिसे परिवार के सदस्यों और ग्रामीणों ने श्रद्धापूर्वक ग्रहण किया।
हालाँकि, पूजा की रात को ही वह गाय अचानक बीमार हो गई। ऋषिकेश ने अगले दिन स्थानीय दुग्ध समिति से संपर्क किया और एक पशु चिकित्सक को बुलाया। जांच के बाद चिकित्सक ने आशंका जताई कि गाय को रेबीज हो सकता है। शुक्रवार रात को गाय की मृत्यु हो गई।
ग्रामीणों में हड़कंप
जैसे ही यह खबर फैली कि गाय की मौत संभवतः रेबीज से हुई है, प्रसाद खाने वाले और उस गाय का दूध पीने वाले ग्रामीणों में दहशत फैल गई। डर के मारे लोग तुरंत डेबरा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और स्थानीय पशंग स्वास्थ्य केंद्र की ओर दौड़ पड़े।
पहले ऋषिकेश माइती के परिवार के 11 सदस्यों ने टीका लगवाया। इसके बाद देखते ही देखते ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। स्थिति को संभालते हुए स्वास्थ्य विभाग को बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाना पड़ा। रिपोर्ट के अनुसार, कुल 222 ग्रामीणों को रेबीज का टीका लगाया गया।
स्वास्थ्य विभाग का बयान
जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी (CMOH), सौम्यशंकर सारंगी ने बताया कि वैज्ञानिक रूप से इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि रेबीज संक्रमित गाय का दूध पीने से यह बीमारी इंसानों में फैलती है। हालांकि, ग्रामीणों में इतना खौफ था कि उन्हें समझाना मुश्किल हो गया था। उनके मानसिक तनाव और डर को देखते हुए एहतियात के तौर पर प्रशासन ने सभी को वैक्सीन देने का फैसला किया।
फिलहाल गांव में स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन इस घटना ने पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना दिया है।
