मुझको रचने में यकीनन आप-सा कोई नहीं
कैसे कहता नफरतों का फायदा कोई नहीं।
कैसे कहता नफरतों का फायदा कोई नहीं।
देख लेना शाम को श्रमदान करने के लिए
कह दिया है सबने लेकिन आएगा कोई नहीं
ये तो सब दस्तूर की खातिर जमा हैं दोस्तो!
मेरी मैयत में हैं शामिल गमजदा कोई नहीं
बाढ़ का पानी चढ़ा तो डीह पर सब आ गए
इत्तिफाकन साथ में थें राब्ता कोई नहीं
उसको खत भेजा तो अपना नाम लिखने की जगह
लिखना था “कोई तेरा” पर लिख गया “कोई नहीं”।
आशुतोष सिंह
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