खड़गपुर पुस्तक मेला में हिंदी कवियों ने बांधा समां

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खड़गपुर। खड़गपुर में कोरोनाकाल के घटते प्रभाव के बीच कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। खुशनुमा माहौल से ओतप्रोत टाउनहाल में आयोजित होने वाले पुस्तक मेले में अनेक कार्यक्रमों के बीच हिंदी प्रेमियों एवं साहित्य पिपासुओं के लिए काव्य संध्या का भी आयोजन हुआ।   युगपुरुष स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस पर  आयोजित  कार्यक्रम  में खचड़गपुर शहर एवं आस पास के लोगों को अपनी वाक् चातुरी, व्यंग्य विधा से हँसाने, रुलाने, विस्मित करने के लिए प्रयागराज से श्री अखिलेश द्विवेदी, कानपुर से लपेटे में नेताजी फेम कवि श्री हेमन्त पाण्डेय और बाँका से पवन बाँके बिहारी ने अपनी मनोहारी कविताओं से लोगों का मनोरंजन किया। खड़गपुर के प्रसिद्ध आशु कवि एवं व्यंग्यकार श्री वेद प्रकाश मिश्र ने स्वामी विवेकानंद के आध्यात्म पर एक भावपूर्ण रचना का पाठ कर महामूर्ति का भाव स्मरण किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी, उड़िया की प्रसिद्ध कवियत्री श्रीमती प्रिया प्रधान ने की और कोरोना के विरुद्ध मानवीय साहसिकता से जंग जीतने की जिजीविषा को व्यक्त करती हुए अपनी भावप्रवण गंभीर रचनाएँ सुनाईं। कोरोनाकाल के संकटों और उससे उबरने की प्रार्थना, सत्कामना लिए इन कविताओं को दर्शकों का भरपूर स्नेह मिला। आजकल ऐसी शुद्ध साहित्यिक भाषा में लिखी रचनाओं का अभाव हो चला है किंतु श्रीमती प्रधान की रचनाओं ने श्रोताओं के मन को छुआ।

कार्यक्रम का प्रारम्भ लपेटे में नेताजी एवं डॉ कुमार विश्वास के कवि सम्मेलन से प्रसिद्धि के शिखर पर विराजमान कवि हेमंत पांडे जी ने अपने चिर परिचित अंदाज में किया और उपस्थित जन समूह को कुर्सियों से उछलने पर मजबूर कर दिया जब उन्होंने अपनी शादी में घोड़ी पर भागने की कविता सुनाई। बांका से पधारे कवि पवन बांके बिहारी ने जटिल बात मैं कहता नहीं, तकिया कलाम के साथ अपनी रचनाएं प्रस्तुत की और लोगों ने आनंद लिया। कार्यक्रम का आनंद अपने चरम पर अखिलेश द्विवेदी जी की रचनाओं एंव भाव भंगिमाओं के साथ पहुंचता रहा। श्री अखिलेश द्विवेदी जी की अपनी एक अभिनय शैली है जिसके साथ वे श्रोताओं की नब्ज पकड़ लेते हैं। हास्य रस के विस्फोटक कवि श्री द्विवेदी जी ने ब्रज रस गागरी एवं रुप तुम्हारा पावन नाम से दो उत्कृष्ट पुस्तकें भी साहित्य संसार को दी हैं जो भाषा, शैली, रस लावण्य भाव की अनुपम धरोहर हैं।

साहित्यिक मुखड़ों, शेर, गजलों एवं गीतों के अंशों के साथ मनमोहक मंच संचालन डा. राजीव कुमार रावत जी ने किया। डॉ रावत ने श्रोताओं और कवियों के बीच सेतुबन्धन का काम बखूबी किया और अपनी कुछ रचनाएं भी सुनाई। आज के दौर में कवि सम्मेलन आयोजनों को उन्होंने लकड़ी की छलनी में पानी भरने की उपमा दी।

इस चुनौती पूर्ण समय में कवि सम्मेलन का आयोजन बहुत दुष्कर कार्य था, कवियों ने बोई मेला आयोजन समिति के सचिव देवाशीष चौधरी, पदमाकर  पांडे, उमेश सिंह, अश्विनी लाल जी का आभार व्यक्त किया। खड़गपुर की रचनाकार श्रीमती निलम अग्रवा की आत्मकथात्मक पुस्तक “अतीत के अदृश्य साये” का लोकार्पण मुख्य अतिथि श्रीमती प्रिया प्रधान एवं अन्य कवियों के सानिध्य में हुआ।

आयोजकों का मानना है कि आज की सूचना क्रांति के दौर में कवि सम्मेलनों का आयोजन एक चुनौती बन गया है क्योंकि हर समय सबके हाथ में मोबाइल होता है और उस पर कुछ न कुछ आता ही रहता है इसलिए आदमी की सहज संवेदनाएं एवं सामान्य प्रतिक्रियाएं नष्ट हो गई हैं। कवियों ने व्यंग्य के माध्यम से देश की हर समस्या पर तीर साधे और जनता के मन मानस तक पहुंचने का सफल प्रयास किया।

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