खड़गपुरः- दक्षिण पूर्व रेलवे मजदूर संघ की खड़गपुर के डिवीजनल कार्यालय में लगातार पांचवें वर्ष शहीद बाबू गेणु बलिदान दिवस के स्मरण में एक स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया। यह रक्तदान शिविर खड़गपुर के रेलवे मेन अस्पताल एवं मिदनापुर मेडिकल कॉलेज के प्रशिक्षित डॉक्टरों व केवीबीडीओ की देखरेख में संपन्न कराया गया। लगभग 74 यूनिट रक्त संग्रह किया गया।
अतिथियों में दक्षिण पूर्व रेलवे मजदूर संघ के संरक्षक प्रहलाद सिंह, उप मुख्य यांत्रिक इंजीनियर (हल्दिया) नरेन्द्र कुमार, खड़गपुर कारखाना के एसटीएससी एशोशियन के महामंत्री हंसराज, कारखाना सचिव शंभू , ओबीसी के अध्यक्ष एम. वेणु, बीएमएस के जिला सभापति ए. के. एंथनी, वार्ड काउन्सिलर अनुश्री बेहरा, अभिषेक अग्रवाल उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में दक्षिण पूर्व रेलवे मजदूर संघ के महासचिव बलवंत सिंह, जोनल उपाध्यक्ष मनीष चंद्र झा, डिवीजनल समन्वयक हरिहर राव, कारखाना सचिव पी. के. कुंडु, आद्रा के डिवीजनल समन्वयक शिवधारी सिंह उपस्थित थे।अन्य पदाधिकारीगण व सदस्यगण के रूप में शंकर दे, एच रवि, प्रकाश रंजन, संतोष सिंह, शेखर, ललित प्रसाद शर्मा, पवन श्रीवास्तव, ए. के. दूबे, रत्नाकर साहू, जलज कुमार गुप्ता, लक्ष्मी रजक, बी. मीना देवी, मेनका बारी, निशा कुमारी, नाइजल नाग, राजीव चक्रवर्ती, आरजू बानो, शंभू शरण सिंह, पी. श्रीनिवास राव, संजय कच्छप, वी. तारकेश्वर राव , Uma Shanka Prasad, P. K. Patro, Om Prakash Yadav तथा अन्य उपस्थित रहे। महिलाओं ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। महिलाओं में रिमी सोरेन, एम. सरोजनी, लीलावती, खुशबू कुमारी आदि ने रक्तदान किया। महामंत्री बलवंत सिंह ने सभी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को रक्तदान शिविर के सफल आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया। उप मुख्य यांत्रिक इंजीनियर (हल्दिया) नरेन्द्र कुमार ने डीपीआरएमएस के समस्त पदाधिकारियों के इस पुण्य कार्य के लिए शुभकामनाएं दी। जोनल उपाध्यक्ष मनीष चंद्र झा ने समस्त रक्तदाताओं को तहे दिल से आभार व्यक्त किया। संरक्षक प्रहलाद सिंह ने समस्त कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों को इस सफल कार्यक्रम के लिए भूरि-भूरि प्रशंसा की।
कौन थे बाबू गेणू
बाबू गेनू सैद भारत के स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी एवं क्रांतिकारी थे। उन्हें भारत में स्वदेशी के लिये बलिदान होने वाला पहला व्यक्ति माना जाता है।पुणे जिले के महांनगुले गाँव में ज्ञानोबा आब्टे का पुत्र बाबू गेनू 22 वर्ष का था वह भी सत्याग्रहियों में सम्मलित था।12 दिसम्बर 1930 को ब्रिटिश एजेंटों के कहने से विदेशी कपड़ो के व्यापारियों ने एक ट्रक भरकर उसको सड़क पर निकाला। ट्रक के सामने एक के बाद एक 30 स्वयंसेवक लेट गये और ट्रक को रोकना चाहा। पुलिस ने उसको हटाकर ट्रक को निकलने दिया।बाबू गेनू ने ओर कोई ट्रक वहां से न निकलने का निश्चय कर लिया और वह सड़क पर लेट गया। ट्रक उस पर होकर निकल गया और वह अचेत हो गया। उसको अस्पताल ले गये जहा उसकी मृत्यु हो गयी। ट्रक ड्राईवर और पुलिस की क्रूरता से शहीद हो गया।
✍ मनीषा झा
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