अपार लोकास्था का महापर्व छठ बीते 17 शुक्रवार को नहाय-खाय के पालन से आरंभ हो चुकी है . खड़गपुर के लोगों में छठ-पर्व का उल्लास व उमंग उफान पर है . विगत दो दिनों से पूरा माहौल छठी मैया की सुरीली भक्ति गीतों से छठमय हो चुका है .
कहीं लोक गायिका शारदा सिन्हा की सुरीली स्वर लहरियों की अनुगूंज है तो कहीं अनुराधा पौडवाल की स्वर सबको भाव विभोर कर रही हैं .
“कांच ही बांस के बहंगिया , बहंगी लचकत जाय
केलवा जे फरेला घवद से ओह पे सुगा मंडराय.
आदित लिहो मोर अरगिया दरस देखाव ए दीनानाथ
उगी है सुरजदेव , हे छठी मैया तोहर महिमा अपार ”
इन गीतों से गुलजार माहौल सबको श्रद्धासिक्त कर रही है .
यूं प्रायः हर कोई छठ- गीतों के रंग में रग जाते हैं वे भी जिन्हें भोजपूरी भाषा की समझ कम है . बहरहाल सख्त नियम-कायदों से आबद्ध यह सनातन परंपरा का पर्व मूलतः प्रकृति की अराधना है . जिसमें पूरे ब्रह्माण्ड के ऊर्जा का उत्स सूर्यदेव की उपासना की जाती है . खड़गपुर के मंदिर तालाब सहित अन्य तालाबों की सफाई खड़कपुर नगरपालिका के चेयरपर्सन कल्याणी घोष की देखरेख में हुई।
छठ पर्व शनिवार को खरना के दिन खीर ग्रहण किया गया। आज तीसरे दिन निर्जला उपवास रह कर , व्रती नदी या तालाब के जल में प्रवेश कर , अस्ताचल सूर्य देव को अर्घ्य दी गई . सोमवार को तडके पुनः उदयीमान सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही पर्व का समापन होगा। कंसावती नदी सहित अन्य घाटों में सुरक्षा के प्रबंध किए गए थे।
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