इंडसइंड बैंक में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा: आंतरिक रिपोर्ट में धोखाधड़ी की आशंका, शीर्ष अधिकारियों ने दिया इस्तीफा






देश के प्रमुख निजी क्षेत्र के बैंक, इंडसइंड बैंक ने हाल ही में अपनी एक आंतरिक रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा किया है। रिपोर्ट में बैंक के माइक्रोफाइनेंस डिवीजन में बड़ी मात्रा में लेखा धोखाधड़ी की आशंका जताई गई है, जिसके चलते बैंक को वित्तीय वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में अब तक का सबसे बड़ा घाटा झेलना पड़ा है।




क्या है मामला?

बैंक की आंतरिक जांच और एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा की गई समीक्षा के अनुसार, मुनाफे के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए ₹172.58 करोड़ की फीस को गलत तरीके से आय में जोड़ा गया, साथ ही ₹674 करोड़ की ब्याज आय और ₹595 करोड़ के अन्य आंकड़ों को भी गलत तरीके से दर्ज किया गया। ये अनियमितताएं मुख्य रूप से पहले तीन तिमाहियों में हुईं, जिन्हें बाद में चौथी तिमाही में सुधारा गया।
अधिकारियों का इस्तीफा
घटना की गंभीरता को देखते हुए बैंक के प्रबंध निदेशक और CEO सुमंत कथपालिया तथा डिप्टी CEO अरुण खुराना ने अप्रैल 2025 में इस्तीफा दे दिया। बैंक का मानना है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी जानबूझकर आंतरिक नियंत्रण को नजरअंदाज करते हुए इन गड़बड़ियों में शामिल रहे और बोर्ड से जानकारी छिपाई गई।
वित्तीय असर
इस अनियमितता के चलते बैंक ने चौथी तिमाही में ₹2,522 करोड़ का प्रावधान (provisioning) किया, जिससे पूरे वित्तीय वर्ष का शुद्ध लाभ 71% गिरकर ₹2,576 करोड़ पर आ गया। यह बैंक के लिए अब तक का सबसे बड़ा घाटा है।
आगे की कार्रवाई
बैंक ने अब इस मामले को नियामक संस्थाओं के पास भेजा है और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ उचित कदम उठाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं, SEBI ने भी छह अधिकारियों के खिलाफ इनसाइडर ट्रेडिंग की जांच शुरू कर दी है। RBI ने 30 जून 2025 तक नए CEO की नियुक्ति का निर्देश दिया है।
बैंक का बयान
बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता ने बयान दिया कि, “हम अब एक साफ और पारदर्शी शुरुआत की ओर बढ़ रहे हैं। भविष्य में सशक्त गवर्नेंस और पारदर्शिता के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम करेंगे।”
यह मामला निजी बैंकों में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है और वित्तीय जगत के लिए एक चेतावनी साबित हो सकता है।
