अंतरिक्ष मिशन में नया इतिहास: ड्रैगन कैप्सूल में रात बिताने वाले भारतीय मूल के शुभांशु शुक्ला






अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने। हाल ही में प्रक्षेपित एक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष मिशन में भाग लेकर वह वर्तमान में पृथ्वी की कक्षा में मौजूद हैं। खास बात यह है कि वह स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में ही रात बिता रहे हैं—जो एक ओर जहां चुनौतीपूर्ण, वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण।




इस मिशन में कुल चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं, जो पृथ्वी के बाहर शोध, तकनीकी विकास और विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों में व्यस्त रहेंगे। शुभांशु जैसे भारतीय मूल के व्यक्ति की इस मिशन में भागीदारी पूरे देश के लिए गर्व की बात है।

ड्रैगन कैप्सूल में रात बिताने का अनुभव बेहद अनोखा होता है। वहां भारहीनता की स्थिति में शरीर का संतुलन बनाए रखना, नींद लेना और विश्राम करना एक विशेष प्रक्रिया की मांग करता है। ऐसे वातावरण में स्वयं को ढालना साहस और कुशलता का परिचायक है।
यह अनुभव न केवल अंतरिक्ष विज्ञान के लिए उपयोगी है, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष पर्यटन और मानव अभियानों के लिए भी एक नई दिशा दिखाएगा। शुभांशु का यह योगदान आने वाली वैज्ञानिक पीढ़ी के युवाओं को प्रेरणा देगा, ऐसा विश्वास जताया जा रहा है।
अब दुनिया भर के वैज्ञानिकों की निगाहें इस मिशन की सफलता पर टिकी हैं। पृथ्वी की कक्षा में मौजूद शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा निःसंदेह भारत के अंतरिक्ष अभियान के इतिहास में एक स्मरणीय अध्याय बनकर रहेगी।
