December 5, 2025

गुजरात का ‘मृत्यु-पुल’: 2021 से दी गई चेतावनियाँ अनदेखी, 16 लोगों की मौत

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गुजरात के वडोदरा ज़िले में महीसागर नदी पर बना गामभिरा (मुझपुर–गामभिरा) पुल बुधवार सुबह अचानक ढह गया, जिससे अब तक कम से कम 16 लोगों की मौत हो चुकी है और 4 लोग अब भी लापता हैं।

यह पुल 1985–86 में बनाया गया था और वर्षों से इसकी तकनीकी स्थिति को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे। 2021 से ही कई स्थानीय प्रतिनिधियों ने पुल को “अयोग्य” घोषित कर मरम्मत या प्रतिस्थापन की मांग की थी, लेकिन संबंधित विभागों ने इन चेतावनियों को नजरअंदाज़ कर दिया।

⚠️ चेतावनियों का क्रम:

2021: जिला पंचायत सदस्य हर्षदीन परमार ने आरएंडबी विभाग को पुल की खराब स्थिति के बारे में सूचित किया और तत्काल कार्रवाई की मांग की।

अगस्त 2022: पुल में कंपन और दरारों को लेकर फिर चेतावनी दी गई।

अक्टूबर 2022: मोरबी पुल हादसे के बाद भी इस पुल पर ध्यान नहीं दिया गया।

2022 की गोपनीय रिपोर्ट: पुल को “अप्रयुक्त योग्य” घोषित किया गया, लेकिन यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।

😢 हादसा और जानमाल का नुकसान:

बुधवार सुबह करीब 7 बजे पुल का लगभग 15–20 मीटर लंबा हिस्सा ढह गया। उस समय पुल पर 6 ट्रक, एक पिकअप, एक पावर वैन, एक ऑटो और एक बाइक मौजूद थे, जो सीधे नदी में गिर गए। स्थानीय लोगों और बचाव दलों की मदद से अब तक 16 शव निकाले जा चुके हैं, जबकि 4 लोग अब भी लापता हैं।

💬 प्रतिक्रियाएँ और जांच:

हर्षदीन परमार (पंचायत सदस्य): “हमने चेतावनी दी थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। आज यह पुल मौत का कारण बना।”

लखन दरबार (RTI कार्यकर्ता): “रिपोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि पुल प्रयोग के योग्य नहीं है। यह जानबूझकर की गई लापरवाही है।”

R&B इंजीनियर एन.एम. नायक वाला: “हादसे से पहले कोई बड़ी खराबी नहीं देखी गई थी। पिछले साल ही बीयरिंग बदली गई थी।”

गुजरात सरकार: मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं और ₹212 करोड़ की लागत से नया पुल बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है।

प्रधानमंत्री और राज्य नेतृत्व: पीएम और सीएम दोनों ने मृतकों के परिवारों को संवेदना दी और परिजनों को ₹4 लाख और घायलों को ₹50,000 की सहायता राशि घोषित की।

🏗️ प्रशासनिक लापरवाही और भविष्य की राह:

गुजरात में इससे पहले भी पुलों और फ्लाईओवरों के मामलों में इसी तरह की लापरवाही देखने को मिली है। 2014 में एथवालाइंस फ्लाईओवर के बाद भी सरकार ने नियम बनाए लेकिन जमीनी कार्यवाही में ढिलाई बनी रही। इस हादसे के बाद सिंद्रोठ पुल को भी भारी वाहनों के लिए बंद कर दिया गया है और भविष्य में रिट्रोफिट या नए निर्माण की संभावना जताई जा रही है।

🔚 निष्कर्ष:

गामभिरा पुल की यह त्रासदी किसी आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि वर्षों की लापरवाही और चेतावनियों की अनदेखी का परिणाम है। अब सवाल उठता है – क्या प्रशासन समय रहते जागेगा या फिर भविष्य में ऐसी और घटनाओं का इंतजार करेगा?

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