बाढ़ से बेहाल घाटाल और चंद्रकोणा: जनजीवन अस्त-व्यस्त, प्रशासन अलर्ट पर






पश्चिम मिदनापुर, 16 जुलाई:




पश्चिम बंगाल के घाटाल और चंद्रकोणा इलाकों में लगातार हो रही बारिश और नदियों के जलस्तर में तेज़ी से हुई वृद्धि ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। तीन दिन से लगातार बारिश और शिलाबती, रूपनारायण जैसी नदियों में जलप्रवाह के कारण सैकड़ों घर डूब गए हैं और कई गांव पूरी तरह पानी में डूबे हुए हैं।

📍 प्रभावित क्षेत्र और हालात
घाटाल नगरपालिका के 13 वार्ड और आसपास के कई ग्राम पंचायत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। चंद्रकोणा-1 और 2 ब्लॉक के मनोहरपुर, मानिककुण्डु, यदुपुर जैसे इलाकों में नदी की जलधारा टूटकर रिहायशी इलाकों में घुस गई है।
सड़कों पर नाव चल रही है, घरों में पानी भर गया है और लोगों का रोजमर्रा का जीवन ठप हो गया है। खेतों में लगी फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी हैं।
☠️ मौतें और नुकसान
अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें एक बच्ची भी शामिल है। कई लोग बीमार पड़ गए हैं और चिकित्सकीय सुविधाओं की भारी कमी महसूस हो रही है।
🛟 प्रशासन की पहल
घाटाल और चंद्रकोणा के बाढ़ प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ (SDRF) और सिविल डिफेंस की टीमें तैनात की गई हैं।
प्रशासन ने राहत शिविर, हेल्थ कैंप, कम्युनिटी किचन और ट्रायेज सेंटर की व्यवस्था शुरू की है। पीने के पानी और आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति की जा रही है।
🌊 बाढ़ का कारण
घाटाल क्षेत्र एक प्राकृतिक रूप से निचला इलाका है, जहां शिलाबती, रूपनारायण और द्वारकेश्वर नदियों का संगम होता है। भारी बारिश और जलाशयों से छोड़े गए पानी के कारण यह क्षेत्र बार-बार जलमग्न हो जाता है।
पिछले कुछ वर्षों से नदियों की गहराई बढ़ाने और तटबंधों की मरम्मत को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
📢 स्थानीय लोगों की मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल बाढ़ की समस्या से उन्हें जूझना पड़ता है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई स्थायी समाधान नहीं मिल रहा। “घाटाल मास्टर प्लान” की घोषणा तो की गई थी, लेकिन अब तक उस पर अमल नहीं हुआ।
🏗️ भविष्य की योजना
राज्य और केंद्र सरकार दोनों को मिलकर घाटाल और चंद्रकोणा के लिए एक दीर्घकालिक बाढ़ नियंत्रण योजना बनानी होगी। नदियों की गहराई बढ़ाना, पक्के बांध बनाना और जलनिकासी की ठोस व्यवस्था करना अनिवार्य हो गया है।
निष्कर्ष:
घाटाल और चंद्रकोणा की भयावह स्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल तात्कालिक राहत ही नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक और स्थायी समाधान की आवश्यकता है। जब तक प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक हर मानसून में यही त्रासदी दोहराई जाती रहेगी।
