लॉर्ड्स टेस्ट में जडेजा की मज़ाकिया चुनौती और रूट की नाटकीय पारी – एक क्रिकेट कथा
क्रिकेट का खेल सिर्फ रन और विकेटों का नहीं होता, यह भावनाओं, रणनीति और कभी-कभी हंसी-मजाक का भी मंच होता है। इंग्लैंड और भारत के बीच लॉर्ड्स क्रिकेट मैदान में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच के पहले दिन इसका एक दिलचस्प उदाहरण सामने आया, जब भारतीय ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा ने इंग्लैंड के स्टार बल्लेबाज़ जो रूट को मज़ाकिया अंदाज में शतक पूरा करने की “चुनौती” दे डाली।
घटना की शुरुआत – रूट 99 पर
पहले दिन का खेल समाप्त होने के कुछ ही क्षण पहले, इंग्लैंड की टीम 4 विकेट के नुकसान पर 251 रन बना चुकी थी। जो रूट उस समय 99 रनों पर नाबाद थे और एक रन की दूरी पर अपना 37वां टेस्ट शतक पूरा करने के करीब थे। तभी एक गेंदबाज़ी आक्रमण के दौरान, गेंद हवा में खेली गई और रविंद्र जडेजा फील्डिंग कर रहे थे।
रूट ने एक रन पूरा कर लिया था और दूसरे के लिए भागने ही वाले थे, तभी जडेजा ने जानबूझकर गेंद को उठाते हुए ‘फेक थ्रो’ किया—यानी गेंद पकड़कर हल्के से उछाल दी, जिससे ऐसा प्रतीत हो कि वे गंभीर नहीं हैं। उन्होंने रूट को जैसे चिढ़ाने की कोशिश की कि “आओ दूसरा रन लो और शतक पूरा करो!” रूट भी यह देखकर मुस्कुरा दिए और दूसरा रन लेने से रुक गए। यह पल कैमरे में कैद हो गया और तुरंत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
सोशल मीडिया पर बवाल
यह वीडियो क्लिप ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर कुछ ही घंटों में लाखों बार देखा गया। क्रिकेट प्रेमियों और विश्लेषकों ने इसे “टेस्ट क्रिकेट का सबसे मनोरंजक पल” कहा। कई लोगों ने जडेजा की चतुराई और मैदान पर उनके मजाकिया अंदाज की सराहना की, जबकि कुछ ने कहा कि इससे बल्लेबाज़ के मनोबल पर असर पड़ सकता है।
भारतीय एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “जडेजा ने शुद्ध मनोरंजन और मानसिक खेल का मिश्रण दिखाया जो आधुनिक टेस्ट क्रिकेट में कम ही देखने को मिलता है।”
जो रूट की पारी – संतुलन और धैर्य का परिचय
जो रूट की यह पारी सिर्फ स्कोरबोर्ड की दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं थी, बल्कि इंग्लैंड की पारी को स्थिरता प्रदान करने में भी मुख्य भूमिका निभाई। उन्होंने 191 गेंदों में 99 रन बनाए, जिसमें 9 चौके शामिल थे। रूट ने बहुत संयम और परिपक्वता दिखाई, खासकर जब इंग्लैंड की टीम शुरू में जल्दी विकेट गंवा बैठी थी।
जडेजा और रूट की यह “शतक चुनौती” की घटना तब और अधिक रोचक बन गई जब दिन का खेल समाप्त होने पर रूट 99 रन पर नाबाद लौटे।
जडेजा की भूमिका – गेंद और फील्डिंग में धार
रविंद्र जडेजा सिर्फ मजाक के लिए नहीं जाने जाते, वह मैदान पर अपनी धारदार गेंदबाजी और आक्रामक फील्डिंग के लिए भी मशहूर हैं। उन्होंने उस दिन 17 ओवर फेंके और किफायती गेंदबाजी की। इसके अलावा, मैदान पर उनकी फुर्ती और स्मार्ट मूवमेंट ने रूट जैसे खिलाड़ी को भी असहज कर दिया।
क्या कहता है क्रिकेट का मनोविज्ञान?
टेस्ट क्रिकेट में ऐसे क्षण अक्सर मानसिक दबाव और खेल की गहराई को दर्शाते हैं। रूट को 99 रन पर रोकना केवल एक रन का खेल नहीं था, बल्कि यह एक मानसिक चुनौती भी थी। क्रिकेट में ‘नर्वस नाइंटीज़’ का विचार पुराना है—जब बल्लेबाज़ 90 से 100 के बीच होते हैं, तो उन्हें मानसिक दबाव ज्यादा महसूस होता है।
जडेजा का यह हल्का मजाक उस दबाव को और बढ़ा सकता था, लेकिन रूट का हंसकर प्रतिक्रिया देना यह दिखाता है कि वे भी इस पल का आनंद ले रहे थे।
क्या रूट शतक पूरा करेंगे?
अब सबकी नजरें दूसरे दिन के पहले सत्र पर होंगी। क्या रूट अपने 100 रन पूरे करेंगे? या भारत कोई रणनीति बनाकर उन्हें जल्दी आउट कर देगा? भारतीय गेंदबाजों की अगली योजना क्या होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
निष्कर्ष – खेल भावना की मिसाल
लॉर्ड्स टेस्ट में यह घटना दिखाती है कि टेस्ट क्रिकेट अभी भी रोमांच, मनोरंजन और खेल भावना से भरपूर है। रविंद्र जडेजा और जो रूट जैसे खिलाड़ी अपने कौशल के साथ-साथ दर्शकों का मनोरंजन करने की कला भी जानते हैं। यह पल न सिर्फ स्कोरबोर्ड में दर्ज होगा, बल्कि क्रिकेट इतिहास में एक मज़ेदार क्षण के रूप में भी याद किया जाएगा।