ऑनलाइन गेमिंग बैन पर कानूनी चुनौती






भारत आज दो अलग-अलग लेकिन बेहद महत्वपूर्ण खबरों का गवाह बना। एक ओर ऑनलाइन गेमिंग उद्योग से जुड़ा एक ऐतिहासिक कानूनी संघर्ष शुरू हुआ है, वहीं दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाके में सुरक्षा बलों ने आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश नाकाम कर दी।




ऑनलाइन गेमिंग पर बैन और A23 की चुनौती:

भारत सरकार ने हाल ही में Promotion and Regulation of Online Gaming Act, 2025 लागू किया है, जिसके तहत पैसे पर आधारित सभी ऑनलाइन खेलों—जैसे रम्मी, पोकर और फैंटेसी गेम्स—पर प्रतिबंध लगाया गया है। सरकार का तर्क है कि ये खेल लोगों, खासकर युवाओं को लत की ओर धकेलते हैं और कई बार आर्थिक नुकसान भी करवाते हैं।
लेकिन, प्रमुख ऑनलाइन गेमिंग कंपनी A23 की मालिकाना संस्था Head Digital Works ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में नहीं बल्कि सीधे कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। कंपनी का कहना है कि यह कानून कुशलता-आधारित खेलों को भी जुए की श्रेणी में डाल देता है, जबकि रम्मी और पोकर जैसे खेल लंबे समय से कौशल-आधारित माने जाते रहे हैं।
कंपनी की याचिका में कहा गया है कि यह कानून भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 19(1)(ग) (व्यवसाय करने की स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करता है। A23 ने अदालत से कानून की कई धाराओं—जैसे 2(1)(g), 5, 6, 7, 9, और 14-16—को रद्द करने या उन पर रोक लगाने की अपील की है।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि इस बैन से भारत का ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर लगभग 95% राजस्व खो चुका है। Dream11, MPL और RummyCircle जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स पर सीधा असर पड़ा है। वहीं, सरकार का पक्ष है कि जनहित और सामाजिक सुरक्षा आर्थिक मुनाफे से अधिक महत्वपूर्ण है।
30 अगस्त को इस मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। इस पर पूरा उद्योग टकटकी लगाए बैठा है, क्योंकि फैसला आने वाले वर्षों में भारत के गेमिंग सेक्टर की दिशा तय कर सकता है।
