December 5, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने Vantara के कामकाज की जांच के लिए गठित की SIT, रिपोर्ट 12 सितंबर तक मांगी

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सुप्रीम कोर्ट ने Vantara – मुकेश अंबानी की रिलायंस फाउंडेशन द्वारा स्थापित वाइल्डलाइफ बचाव और पुनर्वास केंद्र – के संचालन से जुड़े गंभीर आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया है। यह निर्णय Jamnagar, गुजरात स्थित Vantara केंद्र में कार्रवाई की नियमनात्मक प्रक्रिया का परीक्षण करने के लिए लिया गया है ।

जांच का उद्देश्य:

SIT की स्थापना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि Vantara में विदेशी और देशी पशुओं को लाने की प्रक्रिया में प्रासंगिक नियमों का पालन हो रहा है या नहीं। कोर्ट ने 1972 के वन्य जीव (सुरक्षा) अधिनियम और चिड़ियाखानों संबंधी नियमों के अनुपालन की जांच के निर्देश दिए हैं ।

मामला क्या है?

पिछले माह, महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्थित एक मंदिर से हाथी ‘महादेवी’ (जिसे ‘मधुरी’ भी कहा जाता है) को Vantara केंद्र में लाए जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ। इस मामले में दो जनहित याचिकाएँ दायर की गईं — एक देव शर्मा और दूसरी वकील सी.आर. जया सुकिन ने। याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि इस स्थानांतरण में नियमों का उल्लंघन हुआ है ।

SIT के सदस्य और समयसीमा:

सुप्रीम कोर्ट ने इस खास जांच दल की अध्यक्षता अवकाशप्राप्त न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर को सौंपी है। अन्य सदस्यों में उत्तराखण्ड और तेलंगाना हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र चौहान, मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर हेमंत नागराले, और कस्टम्स विभाग के अतिरिक्त आयुक्त अनीश गुप्ता शामिल हैं ।

इस दल को तत्काल प्रभाव से जांच शुरू करने और 12 सितंबर 2025 तक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है ।

गुवर्जात वन विभाग से सहयोग:

अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि गुजरात के वन विभाग को इस SIT को पूर्ण सहयोग प्रदान करना होगा ताकि जांच निष्पक्ष और प्रभावपूर्ण हो सके ।

संक्षेप में प्रमुख बिंदु:

क्या हुआ? — सुप्रीम कोर्ट ने Vantara के कामकाज की जांच के लिए SIT गठित की।

लागू नियम — 1972 का वन्य जीव संरक्षण अधिनियम और चिड़ियाघर नियम।

जांच दल के प्रमुख सदस्य — न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर, राघवेंद्र चौहान, हेमंत नागराले, अनीश गुप्ता।

समयसीमा — रिपोर्ट 12 सितंबर 2025 तक।

सहयोग — गुजरात वन विभाग से SIT को पूर्ण समर्थन देने का निर्देश।

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