दिघा-मंदरमणि: भूजल उठाने के लिए अब अनुमति अनिवार्य, होटल संचालकों को चेतावनी
पश्चिम बंगाल के लोकप्रिय तटवर्ती क्षेत्रों दिघा और मंदरमणि में प्रशासन ने होटल और लॉज संचालकों को निर्देश दिया है कि वह भूगर्भीय जल (subterranean water) निकालने के लिए तुरंत अनुमति प्राप्त करें। यदि कोई नया सबमर्सिबल पंप (submersible pump) लगाया जाना हो, तो वह बिना अनुमति स्थापित नहीं किया जाना चाहिए।
यह निर्णय स्थानीय प्रशासन और राज्य जल निरीक्षण निदेशालय (SWID) की विशेषज्ञ टीम द्वारा लिया गया है। दियाघा, शङ्करपुर एवं मंदरमणि क्षेत्रों में जल स्तर धीरे-धीरे नीचे जा रहा है।
क्या है समस्या?
विशेषज्ञों के अनुसार यदि अनियंत्रित तरीके से भूजल निकासी जारी रही, तो उस जलस्तर में कमी आ सकती है। अंततः जलपोषण (recharge) नहीं हो पाएगा, और नीचे स्थित अनुपयोगी जल स्रोतों (non-potable aquifers) वास्तविक उपयोग की जल की सतह से मिल सकते हैं।
तटीय इलाके में उपयोगी जल की कमी उत्पन्न हो सकती है, जिससे पर्यटक और स्थानीय उपयोगकर्ता दोनों प्रभावित होंगे
प्रशासन की कार्रवाई और बैठक:
प्रशासन ने होटल संचालकों के साथ एक बैठक आयोजित की, जिसमें SWID विशेषज्ञों ने उन्हें बताए कि भूजल संरक्षण कितना महत्वपूर्ण है और अनियंत्रित पंपिंग से किस प्रकार खतरा उत्पन्न हो सकता है।
दिघा-शङ्करपुर विकास परिषद् के अधिकारी नीलांजन मंडल ने भी इस दौरान होटल मालिकों को सचेत किया।
होटल संचालकों का पक्ष:
होटल संघों के प्रतिनिधियों ने बताया कि वे प्रशासन की चेतावनी से सहमत हैं, लेकिन उन्हें विकल्प की चिंता है।
ओल्ड दिघा होटल ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सहस्रांशु मैती ने कहा:
> “हमें पता है कि इस तरह पानी निकालना ठीक नहीं है, लेकिन हमारे पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है।”
दिघा-शङ्करपुर होटलियर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विप्रदास चक्रवर्ती ने जोड़ा कि वे प्रशासन के साथ सहयोग करने को तैयार हैं, लेकिन प्रशासन को ऐसे उपाय भी करना चाहिए, जिससे संचालकों की आपूर्ति बंद न हो।
आगे की चुनौतियाँ और सुझाव:
यदि भूजलस्तर गिरता रहे, तो समुद्र तटीय क्षेत्रों में खारा पानी (saltwater intrusion) का खतरा बढ़ सकता है।
स्थानीय प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि वर्तमान उपयोग को संतुलित करने के लिए जल पुनर्भरण (recharge) सुविधाएँ विकसित हों।
होटल मालिकों को अधिक सतही जल स्रोतों (rainwater harvesting, वर्षा जल संचयन) की ओर अग्रसर होना चाहिए।
अनुमति प्रणाली के बाद भी नियमित सर्वेक्षण और निगरानी ज़रूरी होगी कि अनियंत्रित संचालन न हो।