अतीत के मिस्त्री से अवैध बालू के ‘बादशाह’ तक — झाड़ग्राम में ED का छापा






एक समय साइकिल की मरम्मत करने वाले आम मिस्त्री, शेख जाहीरुल अली उर्फ ज़हरू, आज ग़ांवों में ‘बालू व्यवसाय’ का सिरमौर माने जाते हैं। उनका जीवन ऐसे मोड़ पर पहुँच गया कि उनका तीन मंज़िला आलीशान घर इलाके में ‘प्रसाद’ के रूप में मशहूर हो गया।




स्थानीय निवासियों का कहना है कि ग़ोतिबल्लभपुर के सुवर्णरेखा नदी तट के प्रत्येक बाजरी खदान पर उनका अधिकार है। उनकी अचानक लोकप्रियता की कहानी कुछ यूं बताई जाती है — पहले झोपड़ी, उसके बाद एक झटके में बड़ी दौलत, और फिर अमीरों के बीच चलने का सिलसिला।

उनकी बढ़ती दौलत ने ED की निगाहें उन पर लगवा दीं। सोमवार की सुबह जुलाई की ग़ांव में ED की एक टीम ने उनके घर पर छापा मारते हुए बड़े पैमाने पर नकद जब्त किया। हालांकि, ED की ओर से इस रकम की पुष्टि नहीं की गई है।
जहरीरुल का शुरुआती जीवन बहुत साधारण था: साइकिल की मरम्मत करने वाले एक मिस्त्री। कुछ समय पहले उसने आठवीं कक्षा का जालसाज़ी से प्रमाणपत्र तैयार करवाकर ग़ांव में पुलिस की नौकरी हासिल की, लेकिन सच्चाई सामने आने पर उसे नौकरी से हटा दिया गया।
इसके कुछ वर्ष बाद ही उसने रेत के अवैध व्यापार में कदम रखा और धीरे-धीरे इस क्षेत्र में ‘बालू-चक्र’ का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। अब ग़ांव वाले उसे ‘बाली का बादशाह’ कहने लगे हैं।
इस पूरे मामले की तह तक जाने और पूरे सच को उजागर करने के लिए ED की निगरानी और आगे की कार्रवाई जारी है।
