दिल्ली–कोलकाता उड़ान में यात्री से विवाद, 3 घंटे देरी से उड़ान
दिल्ली से कोलकाता के लिए उड़ान भरने वाली इंडिगो विमान संख्या 6E 6571 लगभग तीन घंटे तक देरी से उड़ पाई, जिसके पीछे विमान में एक यात्री और क्यूबिन क्रू के बीच विवाद खड़ा हो गया।
क्या हुआ घटना के दौरान?
इस उड़ान में सीट 31D पर बैठे एक वकील, जिन पर शराब सेवन के बाद के आचरण का आरोप है, उन्होंने जहाज़ में एक धार्मिक उद्घोष “हर हर महादेव” का जाप करने और अन्य सहयात्रियों को भी इसमें शामिल करने का प्रयास किया। क्रू ने कहा कि उन्होंने सॉफ़्ट ड्रिंक की बोतल छिपाई और जब क्रू ने उनसे सवाल किया तो वे तुरंत उस बोतल का पूरा सामग्री गटक गए।
इंडिगो ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि यात्री की इस “अनुचित व्यवहार” के कारण विमान को उड़ान भरने से पहले टैर्मिनल पर खड़ा करके उसकी पहचान व हालात जांचे गए, जिससे उड़ान में लगभग तीन घंटे की देरी हुई।
दोनों पक्षों की तरफ से आपत्तियाँ:
क्रू ने यात्री पर अनुशासित एवं सुरक्षित उड़ान व्यवस्था में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए भारतीय विमानन प्रोटोकॉल के तहत उन्हें “अनरुली यात्री” घोषित कर कोलकाता पहुँचने पर सुरक्षा अधिकारियों को सौंप दिया।
यात्री ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने विमान में शराब नहीं पायी और केवल दिल्ली हवाई अड्डे पर उठने से पहले एक बियर पी था, जिसका खरीद रसीद उन्होंने क्रू को दिखाया था। उन्होंने आरोप लगाया कि क्रू की ओर से यात्रियों को खाद्य सुविधा न देना, वीडियो रिकॉर्ड करने पर धमकी देना और मानसिक पीड़ा पहुंचाना भी शामिल है। उन्होंने इंडिगो और DGCA में मुकदमा दर्ज करने की जानकारी दी है।
एयरलाइन की प्रतिक्रिया और वर्तमान स्थिति:
इंडिगो ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वह इस घटना की जांच कर रही है और “दुब्बर या अपमानजनक व्यवहार” के लिए उसकी “जीरो-टॉलरेंस” नीति लागू रहेगी। दोनों पक्षों द्वारा दायर शिकायतों पर बिधननगर पुलिस द्वारा जांच शुरू कर दी गई है।
उड़ान, जो प्रारंभ में शाम 7:30 बजे उड़ने वाली थी, अंततः रात 10:27 बजे उड़ान भरी और कोलकाता में 1:09 बजे अवतरित हुई।
सारांश:
एक वकील होने का दावा करने वाले यात्री पर विमान में शराब के नशे में अनुचित व्यवहार और धार्मिक उद्घोष के आरोप लगे, जिसके चलते इंडिगो की उड़ान में तीन घंटे तक देरी हुई। दोनों पक्षों ने शिकायत दर्ज कराई है, और पुलिस इस मामले की जाँच कर रही है। इंडिगो की “जीरो-टॉलरेंस” नीति के तहत इस तरह के व्यवधानों को नियंत्रित करने का प्रयास जारी है।