शिक्षक भर्ती घोटाले पर टीएमसी काउंसिलर का अनोखा विरोध—कान पकड़कर उठ-बैठ कर मांगी माफी






पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर राजनीतिक उथल-पुथल लगातार बढ़ रही है। इस बार मामला और अधिक चर्चा में आया जब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक स्थानीय काउंसिलर पार्थसारथी मैति ने खुद को “सजा” देते हुए जनता से माफी मांगी। उन्होंने कैमरे के सामने कान पकड़कर उठ-बैठ किए और कहा कि वे अपनी पार्टी के उन नेताओं के लिए शर्मिंदा हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों पर चुप्पी साध रखी है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई।




घटना का पूरा विवरण:

पार्थसारथी मैति तमलुक नगर पालिका के वार्ड नंबर 10 के काउंसिलर और युवा तृणमूल कांग्रेस के राज्य सह-अध्यक्ष हैं। वे पेशे से वकील भी हैं। हाल ही में उन्होंने एक वीडियो रिकॉर्ड किया जिसमें वे बार-बार कान पकड़कर उठ-बैठ करते दिखाई देते हैं। इस दौरान उन्होंने जनता से कहा कि शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में पार्टी के कई नेता पैसे लेने के बाद भी मौन हैं, जबकि विपक्षी नेता शुभेन्दु अधिकारी मंच से जोरदार भाषण दे रहे हैं।
मैति ने कहा—
> “जिन नेताओं ने पैसे लिए और फिर भी जनता के सामने कुछ नहीं कहा, उनके लिए मैं शर्मिंदा हूँ। मैं जनता से माफी मांगता हूँ और आश्वस्त करता हूँ कि सच्चाई सामने आनी चाहिए।”
उनका यह बयान स्पष्ट रूप से पार्टी नेतृत्व पर अप्रत्यक्ष सवाल खड़े करता है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
इस घटना के सामने आते ही विपक्ष ने इसे टीएमसी की अंदरूनी कलह करार दिया। भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष तपन बंद्योपाध्याय ने कहा कि यह पूरा घटनाक्रम दिखाता है कि टीएमसी के अंदर भ्रष्टाचार को लेकर असंतोष है। उन्होंने टिप्पणी की—
> “काउंसिलर का यह प्रदर्शन साफ साबित करता है कि तृणमूल के शीर्ष नेता ही दोषी हैं। अब उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ता जनता से माफी मांग रहे हैं।”
दूसरी ओर, तृणमूल के तमलुक जिला अध्यक्ष सुजीत कुमार राय ने इसे पार्टी की छवि खराब करने वाला कदम बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसी वरिष्ठ पदाधिकारी और वकील के लिए इस तरह का सार्वजनिक प्रदर्शन उचित है।
सामाजिक और राजनीतिक असर:
शिक्षक भर्ती घोटाला पश्चिम बंगाल में लंबे समय से एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है। आरोप है कि कई उम्मीदवारों से मोटी रकम लेकर अवैध रूप से नियुक्तियां कराई गईं। इस पर सीबीआई और ईडी की जांच चल रही है, जिसमें कई नेताओं और अधिकारियों के नाम सामने आए हैं।
मैति का यह कदम न केवल पार्टी की छवि पर प्रश्नचिह्न लगाता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के बीच भी असंतोष पनप रहा है। जनता के बीच यह संदेश गया कि टीएमसी के भीतर भी ऐसे लोग हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होने का साहस रखते हैं।
निष्कर्ष:-
पार्थसारथी मैति द्वारा किया गया यह प्रदर्शन बंगाल की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ता है। जहां एक ओर विपक्ष इसे टीएमसी के अंतर्विरोध के रूप में देख रहा है, वहीं सत्तारूढ़ दल के नेता इसे अनुशासनहीनता बता रहे हैं।
लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि इस वीडियो ने भ्रष्टाचार के मुद्दे को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी नेतृत्व इस बगावती रुख पर क्या कदम उठाता है और जनता इसे किस रूप में स्वीकार करती है।
