चुनाव आयोग की तैयारियों का नया दौर: पूर्व मिदनापुर में विशेष बैठक






आगामी SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग ने एक नया कदम उठाया है। कोलकाता तथा बरासात में हुई बैठकों के बाद आयोग की विशेष टीम आज पूर्व मिदनापुर पहुंची और यहां एक बड़े पैमाने पर समीक्षा बैठक की।




इस वार्ता का आयोजन कोलाघाट के बलाका ऑडिटोरियम में किया गया, जहां उप-चुनाव आयोग अधिकारी ज्ञानेश भारती बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक में तीन जिलों — पूर्व मिदनापुर, झाड़ग्राम एवं बाँकुड़ा — से कुल 500 बीएलओ (बहार-स्थायी अधिकारी) उपस्थित होंगे। पूर्व मिदनापुर से 200, झाड़ग्राम से 150 और बाँकुड़ा से 150 बीएलओ इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में मौजूद रहेंगे।

बैठक के बाहर, सनातन ब्राह्मण ट्रस्ट के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। वे आरोप लगा रहे थे कि चुनाव आयोग कोई पक्षपाती प्रक्रिया अपना रहा है। उनका कहना था कि वोटर सूची को पारदर्शी तरीके से तैयार किया जाए। पुलिस हस्तक्षेप के बाद यह प्रदर्शन करीब 20 मिनट में शांत हो गया।
इस बीच, इस SIR प्रक्रिया को लेकर बढ़ती अटकलों के बीच यह तय किया गया है कि 15 अक्टूबर तक इसकी तैयारियाँ पूरी की जाएँ। पहले चरण में EROs और ज़िला अधिकारियों से बैठक होगी, उसके बाद दोपहर 2 बजे बीएलओों के साथ संवाद होगा। स्रोतों का कहना है कि 2002 की वोटर सूची और 2025 की सूची के बीच बड़े अंतर पाए गए हैं, और इस समस्या पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ममता बॅनर्जी ने पहले ही इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है। उनका सवाल है कि “उत्सव और आपदा के बीच, 15 दिनों में SIR संभव कैसे है?” वे यह आश्चर्य व्यक्त कर रही हैं कि क्या आयोग सामान्य लोगों की सेवा कर रहा है या किसी राजनीतिक दल के निर्देशानुसार काम कर रहा है।
वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उसे स्वतंत्रता प्रदान की गई है। उन्होंने कहा, “किसी की बातें आयोग को प्रभावित नहीं करेंगी — वह संविधान के तहत कार्य करेगा।”
चुनावी प्रक्रिया में भरोसा बनाए रखने के लिए अब यह देखना होगा कि आयोग अपनी जैविक व प्रक्रिया संबंधी चुनौतियों को कैसे संभालता है, और क्या SIR की यह पहल वास्तव में निष्पक्ष एवं पारदर्शी होगी।
