चार दिनों के बाद कोरोना से मृत वृद्धा की लाश का हुआ अंतिम संस्कार, बीते कई दिनों से मुखाग्नि की बाट जोह रहे थे कोरोना से मारे गए शहर के तीन अन्य मृतकों  के परिजन

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खड़गपुर। आखिरकार कोरोना से मौत होने के कारण किसी का शव चार दिन से तो किसी का तीन दिनों से अस्पताल के शवगृह में ही था लेकिन प्रशासन की ओर से शवों के अंतिम संस्कार के लिए कोई पहल नहीं हो लही थी परिजनों की दर दर भटकने के बाद अंत में बुधवार को खड़गपुर टाउन पुलिस ने शवों को शवगृह से अंतिम संस्कार के लिए ले गई व देर रात अंतिम संस्कार कर दिया गया। पता चला है कि खड़गपुर के वार्ड 9 के निवासी एक रिटायर्ड रेलकर्मी को कैंसर की शिकायत के बाद रेल अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसकी मौत शनिवार को हो गई थी बाद में वह कोरोना पाजिटिव पाए गई थी। जिसके बाद शव को रेल्वे के शवगृह में रख दिया गया।

इधर रविवार को इंदा में एक व्यक्ति की कोरोना में मौत हुई जबकि मंगलवार को आरामबाटी के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी तीनों शव रेल अस्पताल में रखे हुए थे इसके अलावा रबिंद्रपल्ली में कोरोना से हुई मौत के परिजन भी अंतिम संस्कार का बाट जोह रहे थे उसका शव आईआईटी के बीसी राय अस्पताल में रखा गया था पर प्रशासन की ओर से अंतिम संस्कार के लिए पहल नहीं किए जाने के कारण परिजन परेशान थे। परिजनों की गुहार पर रेल्वे ने भी जिला प्रशासन के समक्ष उक्त बातें रखी लेकिन फिर भी कोई फायदा नही हुआ।

परिजनों का कहना है कि हिंदू धर्म में शव के अंतिम संस्कार के बाद ही आगे की क्रिया की जाती है। लेकिन मौत के बाद भी अंतिम संस्कार में देरी होने से शव का अपमान तो हो ही रहा है वहीं उन्हें मौत के बाद की भी क्रिया करने में देरी हो रही है। बुधवार को आमरा वामपंथी से जुड़े अनिल दास ने रेल अस्पताल जाकर पहल की व एसडीओ से मामले में हस्तक्षेप किए जाने के बाद अतिंम संस्कार संभव हो पाया। ज्ञात हो कि पहले कोरोना से मरने वालों का खड़गपुर के मंदिरतला में बने इलेक्ट्रॉनिक शवदाह में अंतिम संस्कार किया जाता था लेकिन अभी वह खराब होने की वजह से शवों को मेदिनीपुर ले जाया जा रहा है वहां पहले से ही कई अन्य जगहों से शवों को लाया जाया है तो इन सब वजह से भी देरी हुई। पता चला है कि बुधवार को मंदिर तालाब शमशान घाट का बिजली शवदाहगृह की मरम्मत किए जाने के बाद ही अंतिम संस्कार हो पाया।

 

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