60 फीसदी काम करने वाली महिलाओं की आय में हिस्सेदारी मात्र 10 फीसदी, आईआईटी में वूमेन – बैकबोन आफ सोसायटी विषय पर कॉन्क्लेव आयोजित

467
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement

“सशक्त महिलाएं जो कठिन या अपरंपरागत पदों पर पहुंचती हैं, वे पसंदीदा विकल्प चुनती हैं न कि बलिदान देती है। सभी महिलाएं काम करती हैं और काम कर रही हैं, लेकिन बहुत कम वेतनभोगी हैं। डॉ. किरण बेदी, पूर्व. पुडुचेरी की लेफ्टिनेंट गवर्नर और मेगसेसे अवार्डी ने आईआईटी के नेताजी आडिटोरियम में वूमेन – बैकबोन आफ सोसायटी विषय पर आयोजित कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कही। डा. किरण बेदी ने कहा कि पुरुषों और महिलाओं को घर वापस जाने पर एक साथ काम करना चाहिए, एक दूसरे का सहयोग करनी चाहिए ताकि परिवार का सामूहिक विकास हो सके। इस तरह के महत्वपूर्ण प्रशिक्षण शैक्षणिक संस्थानों को विशेष रूप से आईआईटी को अवश्य करना चाहिए। आज महिलाओं को मुखर और सहयोगी होना चाहिए। महिला सशक्तिकरण समावेशी है जिसे फेमिनिस्ट के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए।

हमारा लक्ष्य 2047 तक विश्व गुरु की अपनी स्थिति को पुनः प्राप्त करना है जहां संतुलन बनाने के लिए हमारे समाज के विविध क्षेत्रों में महिला नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने के अभियान के साथ, IIT खड़गपुर में पार्थ घोष एकेडमी ऑफ लीडरशिप ने “महिला – समाज की रीढ़” विषय पर दो दिवसीय अपनी तरह का पहला महिला नेतृत्व कॉन्क्लेव आयोजित किया था जिसे प्रख्यात महिला अतिथि वक्ता जैसे डॉ किरण बेदी, पूर्व पुडुचेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर और मेगसेसे पुरस्कार विजेता, प्रेमलता अग्रवाल, पद्मश्री, राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार विजेता; श्रीमती फूलबशन बाई यादव, पद्मश्री, समाजसेवी, स्व. मनोशी रॉयचौधरी और डॉ. टेसी थॉमस (भारत की मिसाइल महिला), महानिदेशक वैमानिकी प्रणाली डीआरडीओ, जिन्होंने 21वीं सदी में महिलाओं की नेतृत्वकारी भूमिकाओं पर अपनी अंतर्दृष्टि और अनुभव साझा किए।

कॉन्क्लेव की प्रारंभिक टिप्पणी श्री पार्थ घोष, पार्थ घोष एकेडमी ऑफ लीडरशिप के संस्थापक और आईआईटी खड़गपुर के पूर्व छात्र ने की।

 

डॉ. टेसी थॉमस, मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया और डायरेक्टर जनरल, एरोनॉटिकल सिस्टम्स, डीआरडीओ ने कहा, “महिलाएं दुनिया का 60% काम करती हैं और दुनिया की आय का सिर्फ 10% कमाती हैं। महिलाओं के पास वास्तविक रोल मॉडल और मेंटर्स की कमी है। जब हम समाज बदलने के बारे में सोचते हैं तो उसे अपने घर से शुरू करना होता है, घर से पहल करनी होती है।
टेक्नो इंडिया ग्रुप के को-चेयरपर्सन श्रीमति मनोशी रॉय चौधरी ने कहा, ”अच्छे कॉलेज में पढ़ो, अच्छे अंक पाओ, शानदार नौकरी पाओ लेकिन अगर आप उच्च अध्ययन के लिए देश से बाहर जाते हैं, तो श्रेष्ठ चीजों को आत्मसात करें लेकिन अपने देश की सेवा करने के लिए जरुर वापस आएं”
श्रीमति फूलबाशन बाई यादव, पद्मश्री से सम्मानित व सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “रोजगार के लिए हम एक-दूसरे से जुड़ें, भले ही यह बहुत छोटे स्तर पर हो। हमें हमेशा मदद के लिए सरकार के पास नहीं जाना चाहिए, संगठन चलाने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन हैं। अगर हम 1 रुपये बचा लें तो 2 लाख महिलाएं 2 लाख रु एक दिन में जुटा सकती हैं। आज छत्तीसगढ़ में ग्रामीण कामकाजी महिलाओं के पास गाँववाली नाम का एक ब्रांड है जहाँ वे दैनिक घरेलू ज़रूरत का सामान बेचती हैं व आत्मनिर्भर है।

Advertisement

 

श्रीमती प्रेमलता अग्रवाल जो कि पद्मश्री, नेशनल एडवेंचर अवार्डी है उन्होंने कहा, “मैंने 50 साल की उम्र में 90 किग्रा के भार के साथ उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट डेनाली पर चढ़ाई की। एक पर्वतारोही के रूप में दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों पर अपने देश के झंडे को देखने का जुनुन होना चाहिए। अनुशासित जीवन, कड़ी मेहनत, ईमानदारी, समय प्रबंधन, जुनून, टीम वर्क और धैर्य एक पर्वतारोही बनने के लिए आवश्यक गुण हैं क्योंकि पहाड़ नहीं जानते कि पर्वतारोही लड़की है या लड़का, व्यक्ति की दृढ़ता मायने रखती है। जब मुझे पद्मश्री मिला, तो मैंने इसे अपने परिवार, अपने गुरु, अपने माता-पिता को समर्पित कर दिया क्योंकि उनकी प्रेरणा के बिना मैं यहां नहीं होती।”

प्रो. वी के तिवारी, निदेशक, आईआईटी खड़गपुर ने टिप्पणी की, “स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि, यदि आप किसी देश की वृद्धि और विकास को जानना चाहते हैं, तो आपको यह देखना होगा कि वहां के महिलाओं की स्थिति क्या है।” स्त्री और पुरुष दोनों एक पक्षी के दो पंख हैं, इनमें से एक के बिना वह उड़ नहीं सकता। हमारे पास आज प्रेरक महिलाएं हैं जिसमें सामाजिक उद्यमी, प्रख्यात शिक्षाविद्, भारत की मिसाइल महिला, पद्मश्री विजेता आदि शामिल हैं, जो दुनिया के लिए प्रेरणादायक हैं और हमें उन पर गर्व होना चाहिए। बस सत्यनिष्ठा के साथ आगे बढ़े, अगर लोग आपकी सत्यनिष्ठा में विश्वास करते हैं तो जरुर आपका अनुसरण करेंगे।

kharagpur, As India enters its 76th year of Independence, it aims to reclaim its status of Vishwa Guru by 2047 where the role of women leaders is crucial in the diverse fields of our society to create a balance. With a drive to encourage women empowerment, Partha Ghosh Academy of Leadership at IIT Kharagpur organized the first of its kind Women’s Leadership Conclave from 26th to 27th November 2022 on “Women – The Backbone of Society,” in Netaji Auditorium. Eminent women guest speakers like Dr. Kiran Bedi, Ex. Lt Governor of Puducherry and a Megsaysay Awardee along Smt. Premlata Agarwal, Padmashri, National Adventure Awardee; Smt. Phoolbashan Bai Yadav, Padmashri, Social Worker, Smt. Manoshi Roychowdhury and Dr. Tessy Thomas (Missile Woman of India), Director General Aeronautical Systems DRDO, who shared their insights and experiences on leadership roles of women in the 21st century.

 

In opening remarks of the conclave, Shri Partha Ghosh, the man behind the Partha Ghosh Academy of Leadership & Distinguished Alumnus of IIT Kharagpur stated, “The leadership conclave is about collaboration and compassion that the woman in our society symbolizes. He adds that the Academy of Leadership was based on Vedic philosophy at the core with dynamism of western strategy and western training. This is the fundamental shift. The centre of the solar system is not the western architecture which has been a zero-sum game, it would be the Vedic architecture which is plus-sum game. We need a new revision of the leadership model that is existing for more than 500 years ago.”

 

While addressing the conclave, Dr. Kiran Bedi, Ex. Lt Governor of Puducherry and a Megsaysay Awardee remarked, “Empowered women who reach tough or unconventional positions make choices not sacrifices. All women work and are working, but very few are salaried. The IITs must do, as a part of training and grooming of how men and women both should work together, serve together and nurture together when they go back home. This is a very vital training that the academic institutions, especially IITs must do. Today women must be assertive and collaborative. Women empowerment is inclusive which should not be confused with feminism which is isolation. Women must work on the TEA MANTRA – Trust, Empowerment & Accountability. Every emotion is your choice, volunteerism and responsible behaviour in citizens is what lacks among people. In modern times a man has to recognize the women in them and the women has to recognize the men in them.”

 

Dr. Tessy Thomas, Missile Woman of India & Director General, Aeronautical Systems, DRDO cited, “Women perform 60% of the world’s work and earns just 10% of the world’s income. Women lack real role models and mentors. When we think of changing the house, it has to start from your own house, initiated at home, propagated during school days and it has to be promoted while you are performing your job. That is how we can create a different and that is how the social and behavioural changes would come.”

 

Smt. Manoshi Roy Chowdhury, Co-Chairperson, Techno India Group said, “Study in a good college, get good marks, get a wonderful job but if you go outside the country for higher studies, take the best but do come back to serve your nation.”

 

Smt. Phoolbashan Bai Yadav, Padmashri, Social Worker said, “Connect with employment and with each other, even if it very small in nature. We should not always go to the government asking for help, we are independent enough to run an organization. Even if we save Rs. 1 then for 2 lakh women it becomes Rs. 2 Lakh which could be raised in one day. Today the rural working women in Chhattisgarh have a brand named Gaonwali where they sell the daily household essentials.”

 

Smt. Premlata Agarwal, Padmashri, National Adventure Awardee stated, “I climbed the highest peak of North America Mount Denali at the age of 50 with a load of 90kgs. As a Mountaineer, passion and desire should be guided with the vision to see the flag of your country on the highest peaks of the world. That is the goal of every Mountaineer. Disciplined life, hard work, honesty, time management, passion, teamwork and patience are the qualities required for being a Mountaineer because the mountains don’t know whether a Mountaineer is a girl or a boy, it’s the tenacity of the individual that counts. When I got the Padmashri, I dedicated it to my family, my guru, my parents because without their motivation, I would not be here.”

 

Prof. V K Tewari, Director, IIT Kharagpur remarked, “Swami Vivekanda said that, if you want to know the growth and development of a country, you must see the treatment that is given to its women.” Men and women are the two wings of a bird, it cannot fly without the either one of them. We have these wonderful women icons who are Social Entrepreneur, Eminent Educationist, Missile Woman of India, Padmashri winners etc. who are inspirational to the world and as a country we should be proud of them. Just go ahead with integrity, if people believe in your integrity they will follow you.”

 

A panel discussion was also conducted by Commander V K Jaitly with Prof. Manoshi Roy Chowdhury, Co-Chairperson, Techno India Group; Prof. Padmavati Manchikanti, RGSoIPL; Prof. Parama Barai, VGSoM; Prof. Sudeshna Sarkar, Dept. of Computer Science and Ms. Cherry, a student who actively worked with the organizing committee that includes Prof. Shailendra Kumar Varshney, Chairman, Partha Ghosh Academy of Leadership, Prof. Trilok Singh, Vice-Chairman, Partha Ghosh Academy of Leadership and Commander V K Jaitly.

 

 

For Sending News, Photos & Any Queries Contact Us by Mobile or Whatsapp - 9434243363 //  Email us - raghusahu0gmail.com