December 5, 2025

असाधारण थैबी: परिणाम की खुशी में एक खामोश विदाई

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सिर्फ 16 साल की उम्र में थैबी मुखोपाध्याय ने माध्यमिक परीक्षा में 96.29% अंक प्राप्त कर सबको चौंका दिया। बंगाली में 99, गणित में 98, विज्ञान विषयों में शानदार प्रदर्शन—उसकी मेहनत और प्रतिभा की मिसाल बन गई।

लेकिन इस उपलब्धि की कहानी वह खुद कभी नहीं सुना पाएगी। परिणाम घोषित होने से पहले ही थैबी इस दुनिया से विदा हो गई। लीवर संबंधी गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद वह परीक्षा देती रही। आखिरकार 16 अप्रैल को उसकी जीवन-यात्रा समाप्त हो गई।

इलाज के लिए एक करोड़ रुपये की ज़रूरत थी। शहरवासी, स्कूल और सोशल मीडिया के ज़रिये लगभग 45 लाख रुपये जुटाए गए, पर समय साथ नहीं दे सका।

थैबी सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, संगीत, चित्रकला और साहित्य में भी समान रूप से प्रतिभाशाली थी। उसका यूं चले जाना आज भी कई लोगों की आंखों में आंसू ला देता है।

थैबी की कहानी सिर्फ एक दुखद घटना नहीं है—यह साहस, प्रतिभा और संघर्ष का प्रतीक है।

 

অসাধারণ থৈবি: ফলাফলের উল্লাসের মাঝেই এক নিঃসঙ্গ বিদায়

মাত্র ১৬ বছর বয়সেই মধ্যশিক্ষার ইতিহাসে এক উজ্জ্বল দৃষ্টান্ত স্থাপন করে থৈবি মুখোপাধ্যায়। মাধ্যমিকে ৯৬.২৯ শতাংশ নম্বর পেয়ে তাক লাগিয়ে দেয় সে। বাংলা পরীক্ষায় ৯৯, অঙ্কে ৯৮, বিজ্ঞান বিষয়ে একের পর এক চমকপ্রদ ফল।

 

কিন্তু এই কৃতিত্বের গল্প আজ নেই তার নিজের মুখে শোনা। কারণ, ফল প্রকাশের আগেই থৈবি প্রয়াত। লিভারজনিত রোগে আক্রান্ত হয়ে জীবন-মৃত্যুর লড়াই চালিয়ে পরীক্ষায় বসেছিল সে। শেষপর্যন্ত ১৬ এপ্রিল তার জীবন থেমে যায়।

 

চিকিৎসার জন্য প্রয়োজন ছিল এক কোটি টাকা। নানা মহল থেকে প্রায় ৪৫ লক্ষ টাকা সংগ্রহ হলেও সময় তার জন্য অপেক্ষা করেনি।

 

শুধু পড়াশোনাই নয়, গান, আঁকা, সাহিত্য—সব ক্ষেত্রেই পারদর্শী ছিল এই কিশোরী। তার এই অসময়ে চলে যাওয়া আজ অনেকের চোখে জল আনে।

 

থৈবির গল্প কেবল এক দুঃখের নয়—এ এক সাহস, মেধা ও লড়াইয়ের প্রতিচ্ছবি।

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